गुरुवार, 21 अक्टूबर 2010

संतुलित आहार माने क्या?

बीमारियों का ग्राफ बढ़ा है तो सेहत के प्रति जागरूकता भी बढ़ी है। 8 से 12 घंटे ऑफिस में बिताने वाले कामकाजी युवा और महिलाएं खाने के मेन्यु में बदलाव कर रहे हैं, लेकिन एक सच यह भी है कि डाइट के पीछे भेड़चाल चलने से भी बात नहीं बनेगी। विशेषज्ञों की अगर मानें तो महिलाओं व पुरुषों में उम्र के अनुसार डाइट में बदलाव जरूरी है, जिसको लेकर सजगता बरतने की जरूरत होती है। डाइट के साथ सही व्यायाम, नियमित स्वास्थ्य जांच व दिनचर्या में बदलाव बीमारियों से दूर रख सकता है। डाइट संबंधी कुछ मिथकः कार्बोहाइड्रेट की जगह हाई प्रोटीन डाइट खाकर वजन कम किया जा सकता है,जबकि विशेषज्ञों की अगर मानें तो खाने में हाई प्रोटीन चीजें जैसे राजमा,चना व न्यूट्रेला आदि अधिक मात्रा में शामिल करने से लिवर व किडनी पर अधिक दबाव बढ़ता है। यह स्थिति सही नहीं है। लिवर रक्त की आपूर्ति करता है तो किडनी रक्त को शुद्ध करती है, खून में अधिक प्रोटीन से शुद्धिकरण के लिए हृदय को अधिक पंपिंग की जरूरत होती है। हाई प्रोटीन फूड की जगह फाइबर रक्त में आसानी से मिलकर शरीर के अन्य हिस्सों में रक्त के संचार को सामान्य करता है। संतुलित आहार में 50-65 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 20-30 प्रतिशत प्रोटीन व 15-20 प्रतिशत वसा को जगह दी गई है। अधिक वसा हमेशा नहीं बढ़ाता वजन : वसा को लेकर लोगों में यह भ्रांति है कि हमेशा वसा का सेवन मोटापा बढ़ाता है,जबकि अन्य पौष्टिक तत्वों की तरह वसा की भी शरीर को उतनी ही जरूरत है। नियमित रूप से कम वसा युक्त भोजन से शरीर को मिलने वाली ऊर्जा की नियमित क्षति होती रहती है। शरीर की कुल एनर्जी या ऊर्जा का 40 प्रतिशत हिस्सा वसा से प्राप्त होता है, इसलिए इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। एक व्यस्त व्यक्ति के लिए एक दिन में 40 से 50 ग्राम वसा का सेवन जरूरी बताया गया है, जिसके जरिए 1500 कैलोरी प्राप्त की जा सकती है। शरीर में वसा को अवशोषित करने वाले विटामिन ए, बी, ई व के, के लिए भी वसा को शामिल करना जरूरी है। जरूरी है कैलोरी व कार्बोहाइड्रेट का संतुलन:किसी भी तरह की शारीरिक या मानसिक गतिविधि में कैलोरी की क्षति होती है। अधिकतर लोग कैलोरी क्षति पर तो ध्यान देते हैं,लेकिन शरीर की जरूरी मैटाबोलिक क्रियाओं के अनुसार उसे संतुलित कैसे रखा जाएगा, इसको नजरअंदाज करते हैं। साधारण व्यक्ति की दो से तीन क्षति के मानसिक काम में 50 से 60 कैलोरी बर्न होती है, जबकि दो से तीन मिनट खड़े होने या चलने में 3 से 5 कैलोरी बर्न हो जाती हैं। कैलोरी का कार्बोहाइड्रेट से सीधा रिश्ता है, कितने कार्बोहाइड्रेट का सेवन एक दिन में करना है, इसका निर्धारण शारीरिक व मानसिक गतिविधि के आधार पर किया जाना चाहिए। डाइट के प्रति सजग 60प्रतिशत लोग कार्बोहाइड्रेट का गलत रूप में इस्तेमाल करते हैं, जिसमें चीनी और स्टार्च आलू के रूप में किया गया कार्बोहाइड्रेट का सेवन अधिक सही नहीं माना गया है। कार्बोहाइड्रेड की कमी बिगाड़ सकती है इम्यून सिस्टम :काम करने की शक्ति के लिए शरीर को ऊर्जा की जरूरत होती है, यह ऊर्जा कैलोरी के रूप में कार्बोहाइड्रेट के जरिए मिलती है। शरीर में कार्बोहाइड्रेट की पर्याप्त मात्र न मिलने पर शरीर उपस्थित वसा का इस्तेमाल ऊर्जा बनाने के लिए करता है,जिसमें प्रोटीन से अमिनो एसिड का सेक्रेशन होता है। यह प्रक्रिया शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता की क्षति करती है। इसलिए शरीर में कैलोरी व ऊर्जा के अनुसार कार्बोहाइड्रेट जरूरी हैं। शरीर के सेल्स व हार्मोन्स के निर्माण के लिए प्रोटीन जरूरी है। प्रोटीन में उपस्थित अमीनो एसिड किसी भी तरह के बाहरी संक्रमण से शरीर की रक्षा करता है, खाने में प्रोटीन की उपस्थिति बीमारियों से लड़ने वाली एंटी बॉडीज का निर्माण करती है। क्या करें भोजन में शामिलः फाइबर : रेशे युक्त सब्जियों को भोजन में शामिल करने से पाचन क्षमता बेहतर होने के साथ ही रक्त संचार प्रक्रिया भी सुचारू होती है। रेशेयुक्त सब्जियों में गाजर, मूली, ककड़ी, पालक, शलगम, पत्ता गोभी व अन्य हरी सब्जियों का नाम गिना है। इसमें टमाटर के महत्व को भी कम नहीं आंका गया। नये अध्ययन के मुताबिक टमाटर में पर्याप्त मात्र में लॉयकोपिन पाया जाता है,जो कैंसर के खिलाफ शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बनता है। लॉयकोपिन को दिल की बीमारियों के लिए भी रक्षा कवच माना गया है। मूंगफली व बीज को शरीर में माइक्रोन्यूट्रिएंट की आपूर्ति करने में बेहतर कारगर माना गया है। इनसे प्राप्त मैग्नीशियम व पोटेशियम को शरीर में तीव्र गति से कैलोरी व वसा आपूर्ति का माध्यम माना गया है। जरूरी है एंटी ऑक्सिडेंट: पिछले कुछ वर्षो में एंटी ऑक्सिडेंट शब्द का खूब प्रचार हुआ है। रेडिमेड फेयरनेस क्रीम के अलावा एंटीऑक्सिडेंट को प्राकृतिक रूप में भी हासिल किया जा सकता है। पालक व ब्रोकली या हरी गोभी को एंटीऑक्सिडेंट को पर्याप्त स्रोत माना गया है। इसमें उपस्थित ल्यूटिन व कैरोटिन को उम्र के बढ़ते प्रभाव को रोकती है। वसा में ओमेगा-3 का सेवन दिल व दिल की धमनियों के लिए सुरक्षित माना गया है। इससे प्राप्त वसा रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को नियंत्रित रखती है। इसलिए संभव हो तो अधिक से अधिक ओमेगा-थ्री प्रयोग किया जाए, जिसमें हेल्दी ऑयल के नाम से भी जाना जाता है। गर्भावस्था या फिर जन्म देने की योजना बनाने से पहले भोजन में ब्लूबेरी शामिल करना,बच्चों के मस्तिष्क के विकास के लिए कारगर माना गया है। जबकि प्याज,लहसुन व अदरक,सी-फूड जैसे मशरूम में न्यूट्रिएंट की अधिकता होती है, जो बचपन से ही बच्चों के दिल को मजबूत रखता है। सोया प्रोटीन को भी दिल के लिए सुरक्षा कवच माना गया है। दूध से बनी चीजें जैसे पनीर,दही व क्रीम सेहत के लिए सही हैं,लेकिन कोशिश करें कि स्किम्ड मिल्क का ही प्रयोग अधिक हो,जो कैलोरी बढ़ने से रोकेगा(निशि भाट,हिंदुस्तान,19.10.2010)।

1 टिप्पणी:

  1. संतुलित आहार पर एक श्रेष्ठ आलेख!!

    आरोग्यप्रद जानकारी के लिये आभार!!

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