शनिवार, 2 अक्तूबर 2010

कम उम्र की बेटियों की शादी में यूपी अव्वल

तमाम सरकारी कार्यक्रमों और कानूनों को धता बताते हुए देश के पिछड़े जिलों में अभी कम उम्र में बेटियों की शादी कर दी जाती है। उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले में 82.9 फीसदी बेटियां 18 साल से कम उम्र में ही विवाह सूत्र में बांध दी जाती हैं। राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में ऐसी बेटियों की संख्या 65.1 प्रतिशत और मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले में 55.8 फीसदी है। महिला और बाल कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक यूपी के श्रावस्ती जिले के अलावा बहराइच जिले में भी स्थिति चिंताजनक है। वहां 82.8 फीसदी नाबालिग लड़कियों की शादी कर दी जाती है। राजस्थान के भीलवाड़ा जिले (65.1 फीसदी) के बाद बिहार का बांका जिला आता है। वहां 59.9 फीसदी लड़कियों पर विवाह की कानूनन उम्र से पहले ही गृहस्थ जीवन का बोझ डाल दिया जाता है। कम उम्र में लड़कियों की शादी का आंकड़ा जिन जिलों में ज्यादा है, उनमें मध्यप्रदेश के दो जिले राजगढ़ (55.8 फीसदी) और श्योपुर (52.3 फीसदी) भी शामिल हैं। बिहार के पश्चिम चंपारण में यह आंकड़ा 55.8 फीसदी, झारखंड के गिरडीह में 53.3 फीसदी और आंध्रप्रदेश के महबूबनगर 48.3 फीसदी है। पर्वतीय राज्यों की स्थिति बेहतर : उत्तराखंड के चमोली जिले में सिर्फ 0.1 फीसदी लड़कियां ही कम उम्र में शादी के बंधन में बांधी जाती हैं। हिमाचलप्रदेश के चंबा में यह आंकड़ा 0.8 फीसदी और कुल्लू में 0.5 फीसदी है। औसत आंकड़ा भी चिंताजनकः देश में 18 साल से कम उम्र में बेटियों की शादी कराए जाने का औसत आंकड़ा भी चिंताजनक है। नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन रिप्रोडक्टिव हेल्थ के एक अध्ययन अनुसार, देशभर में कम उम्र में लड़कियों की शादी का औसत आंकड़ा 44.5 फीसदी है(दैनिक भास्कर,दिल्ली,28.9.2010)।

2 टिप्‍पणियां:

  1. सबसे पहले तो मैं यह जानना चाहूँगा कम उमर किसको कहते हैं? लड़की अगर जवाँ हो चुकी है तो क्या कम और क्या ज्यादा. शादी मैं क्या दिक्क़त है? अब लड़की जवाँ किस उमर मैं होती है, यह आप जानें.
    दोसरे कम उमर कि शादी मैं गोना तभी होता है जब लड़की लवन हो जाए. मसला कहां हैं कोई?

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