शनिवार, 23 अक्टूबर 2010

दोबारा भी हो सकता है डेंगू

डेंगू से उबर चुके लोगों को यह नहीं सोचना चाहिए कि उन्हें दोबारा यह बुखार नहीं आएगा। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाने की वजह से डेंगू का वायरस पुन: लौट सकता है। चिकित्सकों ने यह चेतावनी दी है। देश की राजधानी में करीब 4,600 से अधिक लोगों को अपनी गिरफ्त में ले चुके डेंगू के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ग्लोबल अस्पताल के डॉ. वी.के. गोयल कहते हैं, डेंगू संक्रामक बुखार नहीं है। यह मच्छर के काटने पर ही होता है। वायरस के संक्रमण के बाद औसतन 4 से 6 दिन में डेंगू के लक्षण उभरते हैं और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित हो जाती है। राजधानी के डॉ. प्रदीप सेठ कहते हैं, डेंगू के चार प्रकार होते हैं। अगर किसी व्यक्ति को किसी भी एक प्रकार का डेंगू हुआ है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसे दूसरे प्रकार का डेंगू नहीं हो सकता। वह कहते हैं, इस बीमारी में डेंगू हैमरेजिक शॉक सिंड्रोम (डीएचएसएस) सर्वाधिक खतरनाक स्थिति होती है, जिसमें तेज बुखार के साथ आघात होता है, रक्तचाप कम हो जाता है और रक्तस्राव के लक्षण उभरने लगते हैं।मच्छर की एक प्रजाति एडीज एजिप्ति डेंगू के वायरस की वाहक है। यह मच्छर दिन में काटता है क्योंकि सूर्य की रोशनी में यह अधिक सक्रिय होता है। डॉ. सेठ के अनुसार, डेंगू के संक्रमण से रक्त वाहिनियों की दीवार कमजोर हो जाती है और विभिन्न अंगों में प्लाजमा का रिसाव होने लगता है। इस बीमारी में प्लेटलेट्स का उत्पादन घट जाता है। रक्त का थक्का बनाने के लिए प्लेटलेट्स जरूरी होते हैं। डॉ. गोयल कहते हैं यह बुखार करीब सात दिन तक रहता है और इस दौरान मरीज को शरीर में तेज दर्द होता है। इसीलिए इसे बोन ब्रेकिंग फीवर कहा जाता है। लेकिन डेंगू हेमरेजिक फीवर ज्यादा खतरनाक होता है। जिन मरीजों को डेंगू हो चुका है उन्हें डेंगू हेमरेजिक फीवर की आशंका होती है। डब्ल्यूएचओ की महानिदेशक डॉ. मार्गरेट चान की मानें तो डेंगू वायरस से होने वाली और तेजी से फैलने वाली बीमारी है जिसका सर्वाधिक असर गरीबों, खास कर शहरी आबादी पर पड़ रहा है(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,23.10.2010)।

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