देश भर में बढ़ रहे झोला छाप डॉक्टरों पर लगाम कसने के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया, एमसीआई) ने एक सरकुलर जारी कर कार्रवाई किए जाने की बात कही है। परिषद ने अपने पत्र में साफ लिखा है कि झोला छाप डॉक्टर चिकित्सा सेवा के लिए उपयुक्त नहीं हैं। इसलिए उन पर लगाम लगाना जरूरी है। इस बाबत सभी राज्यों के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के निदेशक, स्वास्थ्य सचिव, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन आदि को पत्र लिखकर झोला छाप डॉक्टरों की निगरानी के लिए आदेश दिया गया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सदस्य डॉ. अनिल बंसल ने बताया कि एसोसिएशन ने मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया की नव गठित टीम को पत्र के माध्यम से झोला छाप डॉक्टरों पर कार्रवाई की मांग की थी। परिषद ने हमारी मांग स्वीकार कर देश भर के सभी राज्यों को इस दिशा निर्देश पर काम करने को कहा है। परिषद ने अपने पत्र में कहा है कि देश भर में पंद्रह लाख झोला छाप डॉक्टर हैं, जिनमें चार लाख ऐसे डाक्टर हैं, जिसने डिग्री किसी अन्य कोर्स की ली है और इलाज किसी और का करते हैं। 11 लाख ऐसे झोला छाप डॉक्टर हैं, जिनके पास चिकित्सकीय सेवा की कोई डिग्री नहीं है। वे गैर कानूनी तरीके से काम कर रहे हैं। उसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। बता दें कि दिल्ली में 40 हजार से अधिक झोला छाप डॉक्टर सक्रिय हैं। आए दिन इनके गलत इलाज का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है। डॉक्टर बंसल का कहना है कि झोला छाप डॉक्टरों के खिलाफ इतनी बड़ी कार्रवाई पहली बार की गई है। परिषद की यह पहल कारगर कदम साबित होगी और लोगों को झोला छाप डॉक्टरों से छुटकारा मिलेगा(दैनिक जागरण,दिल्ली,20.10.2010)।
जो डॉक्टर ही नहीं हैं , उन्हें (झोला छाप) डॉक्टर क्यों कहा जाता है ? इस बात का ज़वाब डॉ बंसल भी नहीं दे पाए थे ।
जवाब देंहटाएंदेखते हैं , कितना असर पड़ता है ।