गुटखा की पुड़िया में प्लास्टिक के बढ़ते इस्तेमाल से चिंतित सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि देश में इसकी बिक्री पर पाबंदी लगनी चाहिए। अदालत का मत था कि सिगरेट के पैकैट की तरह ही गुटखा के पैकेट पर भी वैधानिक चेतावनी प्रकाशित होनी चाहिए, क्योंकि इसके सेवन से भी लोगों को गंभीर बीमारियां हो रही हैं।
न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और अशोक कुमार गांगुली की दो सदस्यीय खंडपीठ ने मंगलवार को गुटखा की पुड़िया में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाने के राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की। न्यायाधीशों ने गुटखा के इस्तेमाल से होने वाले दुष्प्रभावों का जिक्र करते हुए कहा कि इसके सेवन से कैंसर जैसी घातक बीमारी हो सकती है और देश में अनेक लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं।
इससे पहले, सालीसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम ने अदालत को सूचित किया कि सरकार ने गुटखा की पुड़िया में प्लास्टिक के इस्तेमाल के दुष्प्रभावों के अध्ययन के लिए एक समिति गठित की है। उन्होंने कहा कि इस समिति की रिपोर्ट पेश करने के लिए सरकार को कुछ समय चाहिए। अदालत ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद केंद्र सरकार को समिति की रिपोर्ट पेश करने के लिए चार सप्ताह का समय प्रदान कर दिया। इस मामले में अदालत अब दो दिसंबर को आगे विचार करेगी।
इस पर न्यायाधीशों ने कहा कि सरकार संवदेनशील मामलों में समिति गठित करने के अलावा कुछ नहीं करती है। गुटखा में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पाबंदी की राय से सहमति व्यक्त करते हुए न्यायाधीशों ने कहा कि इस प्लास्टिक के कारण यमुना नदी की स्थिति सबके सामने है। देश के सभी शहरों और नगरों में प्लास्टिक की इन थैलियों ने नाले नालियों को जाम कर रखा है(नई दुनिया,दिल्ली,20.10.2010)।
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