रविवार, 10 अक्तूबर 2010

कई अस्पतालों में कैशलेस की सुविधा बहाल

सार्वजनिक क्षेत्र की चार बीमा कंपनियों से मेडिक्लेम पालिसी लेने वाले ग्राहकों को कई अस्पतालों ने कैशलेस [नकदीरहित] उपचार सुविधा फिर से देना शुरू कर दिया। हालांकि, मैक्स जैसे कुछ बड़े अस्पतालों ने अभी यह सुविधा दुबारा शुरू नहीं की है। बीमा उद्योग के सूत्रों ने बताया कि ज्यादातर अस्पतालों ने सार्वजनिक क्षेत्र की चार बीमा कंपनियों से मेडिक्लेम पालिसी लेने वाले ग्राहकों को कैशलेस सुविधा बहाल कर दी है। इन कंपनियों ने इस जुलाई से इस सुविधा को बंद कर दिया था। सूत्रों ने बताया कि मैक्स, अपोलो और फोर्टिस जैसे बड़े अस्पतालों ने हालांकि अभी यह सुविधा बहाल नहीं की है, क्योंकि उनका सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के साथ पैकेज दर ढांचे के बारे में समझौता नहीं हो पाया है। इस बारे में संपर्क किए जाने पर मैक्स हेल्थकेयर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक परवेज अहमद ने कहा कि हमने तीन सप्ताह पहले इन कंपनियों को अपनी दरें सौंप दी हैं। अभी तक हमें उनकी ओर से जवाब नहीं मिला है। अपोलो और फोर्टिस से इस बारे में टिप्पणी नहीं ली जा सकी। मेदांता के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक नरेश त्रेहन ने इस बात की पुष्टि की कि मेडिसिटी में कैशलेस सुविधा बहाल हो गई है। उन्होंने कहा कि हमारा तीसरे पक्ष प्रशासक [टीपीए] के साथ इसी सप्ताह समझौता हुआ है और सुविधा फिर से शुरू कर दी गई है। टीपीए बीमा लेने वाले और बीमा कंपनियों के बीच सहयोग की भूमिका निभाते हैं। न्यू इंडिया इंश्योरेंस, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस, नेशनल इंश्योरेंस और ओरियंटल इंश्योरेंस ने एक जुलाई से दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और बेंगलूर जैसे शहरों के चुनिंदा अस्पतालों में कैशलेस सुविधा देना बंद कर दिया था। इन कंपनियों का आरोप था कि ये अस्पताल इस सुविधा के नाम पर जरूरत से ज्यादा बिल बना देते हैं। इसके बाद इन कंपनियों ने अपनी अस्पतालों की सूची को फिर से तैयार किया और इस सूची में सिर्फ उन अस्पतालों को रखा है, जो विभिन्न चिकित्सा सुविधाओं के लिए उनकी पैकेज दरों पर सहमत हुए हैं। फिलहाल इन चार बीमा कंपनियों की कैशलेस सुविधा के दायरे में 449 अस्पताल आते हैं। इन्हें प्रेफर्ड प्रोवाइडर नेटवर्क [पीपीएन] कहा जाता है। सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों को मेडिक्लेम पालिसियों पर फिलहाल कुल प्रीमियम संग्रह से दावों के रूप में 40 प्रतिशत अधिक का भुगतान करना पड़ रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों ने कैशलेस सुविधा के तहत दरों को तर्कसंगत बनाने की पहल इस वजह से की है, क्योंकि अस्पतालों के जरूरत से ज्यादा बिल बनाने से उनको 2,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है(दैनिक जागरण संवाददाता,दिल्ली,10.10.2010)।

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