सोमवार, 11 अक्तूबर 2010

बुनकरों ने बुना चिकित्सा का ताना-बाना

बुनकरों की सामाजिक पहचान कपड़े बनाने की रही है । यह उनके खून में विरासत के तौर पर मौजूद है पर अब इससे दीगर रांची के ᅠ"छोटानागपुर बुनकर समाज" ने अपना नया परिचय बनाने में कामयाबी हासिल की है । कपड़े के धागे जोड़नेवाले बुनकरों ने अपोलो अस्पताल को खड़ा कर कई लोगों की सांसों की डोर भी बखूबी जोड़ी है। झारखंड की राजधानी रांची से लगभग २५ किलोमीटर दूर स्थित है अब्दुर्रज्जाक अंसारी मेमोरियल वीवर्स अस्पताल । यह पूरे एशिया में अस्पतालों के सबसे बड़े समूह अपोलो ग्रुप का प्रसिद्ध अस्पताल है । अब्दुर्रज्जाक अंसारी मेमोरियल वीवर्स हास्पिटल (ओपोलो हास्पिटल ग्रुप) इरबा पूर्वी भारत का एकमात्र अस्पताल है जहां हृदय रोगियों के इलाज के लिए आईवीयूएस मशीन लगाया गया है। पिछले 10 वर्षों के दौरान हृदय रोग की चिकित्सा के क्षेत्र में अस्पताल ने एक अलग पहचान बना ली है। अस्पताल में हृदय रोगियों के इलाज के लिए अस्पताल में 32 अनुभवी चिकित्सकों की टीम है। अस्पताल नामी-गिरामी स्वाधीनता सेनानी अब्दुर्रज्जाक अंसारी की याद में बनाया गया है । यह बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में अपोलो समूह का इकलौता अस्पताल है । यहां तक कि कोलकाता जैसे महानगर में भी अपोलो या इसके स्तर का एक भी अस्पताल नहीं था जहां एक ही छत के नीचे सारी सुविधाएं मौजूद हों । वर्ष २००६ में कोलकाता में अपोलो खड़ा हुआ । अपोलो अस्पताल, इरबा की नींव सात अप्रैल १९९६ को पड़ी थी । इसके पीछे अपोलो अस्पताल समूह का नहीं बल्कि बुनकर सोसाइटी की भूमिका थी। । इसके सूत्रधार थे स्वर्गीय अब्दुर्रज्जाक अंसारी जिन्होंने अविभाजित बिहार के पिछड़े और बुनियादी सुविधाओं से महरूम इरबा क्षेत्र में एक विश्वस्तरीय अस्पताल का सपना देखा था । उन्होंने अस्पताल की आधारशिला रखे जाने के संबंध में पटना में राज्यपाल से भेंट की। गांव लौटने के क्रम में दुर्घटना हो गई । समय पर इलाज के अभाव से वह चल बसे । अंसारी के गुजर जाने के बाद उनका ख्वाब पूरा करने के लिए बुनकर समिति ने तय किया कि अब्दुर्रज्जाक अंसारी और वीवर्स अस्पताल की स्थापना अपोलो हॉस्पिटल ग्र्रुप प्रबंधन, चेन्नई की मदद से की जाए । अब्दुर्रज्जाक अंसारी के बेटों सईद अहमद अंसारी और मंजूर अहमद अंसारी को इसकी जिम्मेदारी दी गई । सईद अहमद अंसारी ने इसके लिए बैंक की नौकरी छोड़ दी । अपोलो अस्पताल समूह के चेयरमैन और संस्थापक डॉ. पी.सी. रेड्डी के सकारात्मक सहयोग से अप्रैल १९९६ में एक अत्याधुनिक अस्पताल की नींव इरबा में डाली गई । इसे मॉडर्न हार्ट सेंटर बनाने के प्रयास शुरू हुए । वर्ष २००० में यह सपना साकार हो गया जब कैथ लैब सुपरस्पेशलाइज्ड हृदय चिकित्सा केंद्र की स्थापना हुई । सईद अहमद अंसारी ने इससे भी आगे बढ़ते हुए क्यूरी अब्दुर्रज्जाक अंसारी कैंसर इंस्टीट्यूट की स्थापना जानी-मानी संस्था एचसीजी, बेंगलुरु की मदद से की । पूर्वी भारत में अपनी तरह का यह इकलौता अस्पताल है जहां कैंसर के रोगियों के लिए विश्व स्तर की सभी सुविधाएं मौजूद हैं । अपोलो अस्पताल इरबा में एक ही छत के नीचे कई असाध्य बीमारियों के इलाज की सुविधाएं मौजूद हैं । टीसीयू और सीसीयू के २०० बेड व क्रिटिकल केयर के ७० बेड हैं । ३५० रुपए प्रतिदिन से लेकर २००० रुपए प्रतिदिन तक का चार्ज लगता है । इनमें भोजन का चार्ज भी है । सामान्य वार्ड के अलावा सुपर स्पेशलिस्ट और वीआईपी कोटे के लिए अलग-अलग व्यवस्था है । अस्पताल की सात एम्बुलेंस हैं जो चौबीसों घंटे तैयार रहती हैं । कार्डियोलॉजी, डेंटिस्टट्री, इंडोक्रोनिलॉजी, गाइनेकोलॉजी, यूरोलॉजी, पेड्रियाटिक सर्जरी, न्यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी और ऐसे ही अन्य १९ विभाग हैं । हृदय रोग और उसके ऑपरेशन व किडनी प्रत्यारोपण की सुविधा के चलते यह अस्पताल झारखंड और बिहार के लिए बड़ी सुविधा साबित हुआ है । अपोलो के फाउंडर सदस्य और सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. नीरज प्रसाद, बताते हैं कि अपोलो ने ऐसे मरीजों के लिए राह खोल दी है जो बड़े शहरों में जाकर अपना उपचार नहीं करा सकते, खासकर हृदय रोगों के मामले में । अपोलो अस्पताल की सफलता की कहानी इसके आंकड़ों से भी जाहिर होती है । स्थापना काल से लेकर जनवरी २०१० तक १,६१,०४४ लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराए हैं । यहां ७१,४७७ मरीजों ने भर्ती होकर स्वास्थ्य लाभ लिया है । ईको, टीएमटी, सिटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड और अन्य सुविधाओं का हजारों-लाखों रोगियों ने लाभ उठाया है । ओपीडी में २०,९७२ रोगियों का निःशुल्क उपचार कराया जा चुका है । अब्दुर्रज्जाक अंसारी मेमोरियल वीवर्स अस्पताल के प्रबंधक सईद अहमद अंसारी कहते हैं कि अपोलो को और बेहतर बनाने के लिए हम पुरजोर कोशिश करते रहेंगे । कोशिश जारी है कि जरूरतमंदों की जिंदगी में दर्द के पैबंद को हम हटा सकें और उनके जीवन के धागों को सलीके से जोड़कर नया रूप दें (विष्णु राजगढ़िया और अमित झा,संडे नई दुनिया,अक्टूबर द्वितीयांक,2010)।

1 टिप्पणी:

  1. अच्छी जानकारी मिली। बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
    नवरात्र के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!

    दुर्नामी लहरें, को याद करते हैं वर्ल्ड डिजास्टर रिडक्शन डे पर , मनोज कुमार, “मनोज” पर!

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