शुक्रवार, 15 अक्तूबर 2010

टेंशन में मेडिटेशन

सत्तर के दशक में जब पश्चिमी वैज्ञानिकों ने मेडिटेशन पर विचार करना शुरू किया, तो पाया कि हृदय गति, पसीना और दूसरे तरह के तनाव को कम करने में मेडिटेशन काफ़ी सहायक हैं। वैज्ञानिक रिचर्ड डेविडसन भी इसके दीर्घकालीन फ़ायदों की बात मानते हैं। 14वें दलाई लामा ने 1992 में वैज्ञानिक डेविडसन को भारत आने और उत्तरी भाग में रहने वाले बौद्ध साधुओं के मस्तिष्क को परखने का न्योता दिया था। मेडिटेशन के नज़रिए से बौद्ध साधु दुनियाभर में एक विशेष स्थान रखते हैं। डेविडसन अपने लैपटॉप, ईईजी रिकॉर्डर जैसे उपकरण लेकर भारत आए और बौद्ध साधुओं पर मेडिटेशन का प्रयोग शुरू किया। उन्होंने साधुओं को अपनी प्रयोगशाला में बुलाकर ध्यान लगाने के लिए कहा। लैब में मैग्नेटिक इमेजिंग मशीन के ज़रिए या फिर मन को भटकाने वाली तस्वीरें दिखाकर उनकी प्रतिक्रियाओं को रिकॉर्ड किया। यह देखा गया कि मस्तिष्क और विचारों पर उनका नियंत्रण कमाल का था। यहां तक कि उनकी धड़कनें भी एकदम शांत बनी रहीं। साफ़ है कि वे किसी भी तरह के तनाव और प्रलोभन से परे हो चुके थे। हॉर्वर्ड के न्यूरो वैज्ञानिक स्टीफ़ेन कोसलिन द न्यूयार्क टाइम्स से कहते हैं कि ये जानकारी न्यूरोसाइंस के विस्तार की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। अगर आप पिछले बीस साल से हर रोज़ कुछ-न-कुछ करते हैं, लगभग आठ घंटे, तो आपका दिमाग औरों के दिमाग की तरह नहीं काम करता, बल्कि कुछ फ़र्क़ आ जाता है। और यह फ़र्क़ सकारात्मक होता है। बौद्ध साधु तीन तरह से ध्यान लगाते हैं- किसी एक ख़ास चीज़ पर लंबे समय तक ध्यान केंद्रित करना। सहानुभूति पैदा करना। क्रोध को जन्म देने वाली परिस्थितियों के प्रति नकारात्मक विचार बन जाते हैं। लेकिन उन नकारात्मक विचारों को दया और सहानुभूति की दृष्टि से देखना। ख़ुद को एक ऐसे खुले माहौल में ले जाना, जहां किसी विचार, भावना और संवेदना की वास्तविकता को तुरंत समझ लिया जाए। पिछले कई सालों से चल रहे अध्ययन बताते हैं कि मेडिटेशन कई मायनों में फ़ायदेमंद है। दर्द से मुक्ति हो या फ़िर ख़ुद को और बेहतर बनाना हो, ध्यान हमेशा लाभप्रद होता है। कुछ उदाहरण से मेडिटेशन के फ़ायदे को और बेहतर तरीक़े से समझा जा सकता है। जो लोग आठ महीने तक मेडिटेशन करते रहे, उनमें एंटीबॉडीज़ बढ़ गई और इम्यून बेहतर तरीक़े से काम करने लगा। हॉर्वर्ड रिसर्च स्कूल के मुताबिक, मेडिटेशन करने से स्मरण और किसी चीज़ पर फ़ोकस करने की क्षमता बढ़ जाती है। यह चिंता, उदासी, क्रोध और थकान को कम कर देता है। किसी भी तरह के तनाव को कम करने और इम्यून को अधिक सक्रिय करने का मेडिटेशन एक कारगर उपाय है। मेडिटेशन और इसी तरह की दूसरी प्रक्रियाएं आपके मस्तिष्क में बदलाव ला सकती हैं। हाल ही में एक अध्ययन से पता चला है कि आठ सप्ताह तक मेडिटेशन करने से पीठ दर्द कम हो जाता है और शरीर ठीक तरह से काम करना शुरू कर देता है। इन जानकारियों से पता चलता है कि मेडिटेशन के फ़ायदे कई मायने में ज़बर्दस्त है(दैनिक भास्कर,10.10.2010)।

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