रविवार, 24 अक्टूबर 2010

पोलियो उन्मूलन के करीब पहुंचा देश

देशवासियों के लिए खुशखबरी है। इस साल पोलियों के मामलों में गिरावट दर्ज की गई है। पिछले वर्ष इन दिनों देश भर में आए कुल 395 मामले की तुलना में इस वर्ष अब तक सिर्फ 39 मामले दर्ज किए गए हैं। यही कारण है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की नजर में भारत पोलियो उन्मूलन के मार्ग पर अग्रसर है। अच्छी खबर यह है कि पहली बार उत्तर प्रदेश में पोलियो का टाइप-वन एक भी मामला अभी तक रिपोर्ट नहीं की गई है। हालांकि सरकार के सामने अभी भी टाइप-वन पूरी तरह से कंट्रोल करने की जिम्मेदारी बनी हुई है। द इंडियन एकेडमी आफ पीडियाट्रिक्स ने सरकार के प्रयासों की तारीफ की है, लेकिन ओरल पोलियो वैक्सीन (ओपीवी) और इंजेक्टेबल पोलियो वैक्सीन (आईपीवी) में से आईपीवी को पोलियो उन्मूलन में शामिल नहीं किए जाने पर चिंता व्यक्त की है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो ओपीवी से आईपीवी में नीतिगत बदलाव से अच्छे परिणाम की उम्मीद की जा सकती है। ओपीवी को बूंदों के रूप में बच्चों को दिया जाता है, जो भारत में पोलियो टीकाकरण का सबसे प्रचलित तरीका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों पर गौर करें तो इस बार कुल मामलों में टाइप वन के 16 (पिछले साल 51) तथा टाइप थ्री के 23 (पिछले साल 343) मामले दर्ज किए गए हैं। पहली बार उत्तर प्रदेश में टाइप वन का एक भी मामला दर्ज नहीं है, जबकि पिछले साल 34 मामले दर्ज किए गए थे(दैनिक जागरण,दिल्ली ,२४.१०.२०१०)।

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