शुक्रवार, 22 अक्तूबर 2010

संधिकाल में खीर

आयुर्वेद के हिसाब से संधिकाल का मौसम शुरू हो चुका है। दो मौसमों के मिलन समय को संधिकाल कहा जाता है। गर्मी कम हो गई है, सर्दी ने दस्तक दे दी है। ऐसे मौसम में सबसे अधिक दिक्कत दमा रोगियों को होती है। शुक्रवार को शरद पूर्णिमा है। इस दिन विशेष तरीके से खीर का सेवन लोगों के लिए अमृत समान है। नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) में मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ-आयुर्वेद) डॉ. एसके आर्य कहते हैं कि शरद पूर्णिमा का तात्पर्य है चांद का मौसम। हमारा स्वास्थ्य चक्र तीन हिसाब से चलता है सूर्य, चंद्रमा और वायु। वायु सूर्य-चंद्रमा को संतुलित करता है। चंद्रमा प्रतीक है कफ या शीत का। शरद पूर्णिमा के दिन कई किरणें ऐसी होती हैं जिन्हें एक विशेष विधि से ग्रहण करने पर फायदा होता है। डॉ. आर्य कहते हैं कि व्यक्ति विशेष को अपनी भूख के अनुसार ५० से १०० ग्राम तक शमा के चावल, ५०० ग्राम गाय का दूध और उतना ही पानी लेना चाहिए। एक खास किस्म की ज़ड़ (गु़ड़िया) को धोकर मिला लें। सबको मिलाकर खीर बनाएं। खीर में मीठे के लिए सिर्फ गु़ड़ का प्रयोग करें। शाम को छः बजे खीर बनाएं। जैसे ही चंद्रमा का उदय हो उसको केले के पत्ते से स्टील के पात्र में रखकर ढक दें। कुछ देर तक निरंतर देखते रहें। फिर भरपेट खीर खाएं। खाने के बाद पानी नहीं पीएं। बहुत ज्यादा प्यास लगे तो सौंठ का उबला हुआ पानी पीएं। डॉ. आर्य कहते हैं कि निश्चित रूप से ऐसा करना अमृत लेने जैसा होगा, खासतौर पर दमा रोगियों के लिए। क्या करें- *एक माह तक रात्रि में १० से २० ग्राम तक गु़ड़ खाएं *पेट साफ रखने के लिए त्रिफला और इसबगोल का प्रयोग करें *लौकी, तोरई, बथुआ, परमल, चौलाई, लहसुन का सेवन न करें *सौंठ, पिपली, काली मिर्च का बराबर चूर्ण शहद के साथ चाटें क्या न करें- *खाने के बाद रोटी का एक टुक़ड़ा सब्जी के साथ खाएं फिर जल पिएं *मलमूत्र, डकार, खासी को जबरन न रोकें *ज्यादा भी़ड़ की जगह पर न जाएं *सर्दी से बचाव करें *ज्यादा से ज्यादा स्वच्छ हवा का सेवन करें *प्राणायाम करें, धीरे-धीरे (नई दुनिया,दिल्ली,22.10.2010)

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