देर से ही सही,केंद्र सरकार को स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ जन सामान्य को देने की सुध आ गई है। कैशलेस स्वास्थ्य बीमा योजना को लेकर बड़े अस्पतालों और बीमा कंपनियों के बीच पिछले महीनों के दौरान खींचातानी चलती रही। सरकारी हस्तक्षेप से मामला सुलझा। अब राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना सड़क पर रेहड़ी-खोमचे लगाने वालों से लेकर घरेलू नौकरों तक लागू करने के प्रस्ताव को सरकार ने स्वीकृति दे दी है। अब तक २७ राज्यों के लगभग २ करोड़ गरीब परिवार राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजना से लाभान्वित हो रहे थे। उन्हें सालाना ३०० से ६०० रुपए तक बीमा प्रीमियम देना होता है। इस योजना के अंतर्गत अब गरीबी रेखा से ऊपर समझे जाने वाले सामान्य नागरिकों को इसका लाभ मिलने लगेगा। कम आमदनी वाले लोगों को इस योजना के अंतर्गत ३० हजार रुपए का सालाना कैशलेस मेडिकल बीमे की सुविधा रहेगी। भारत जैसे देश में गरीब और निम्न-मध्य आय वर्ग के लोग अधिक ईमानदारी और स्वाभिमान के साथ जीने की कोशिश करते हैं। उन्हें बिजली, पानी, फोन के छोटे बिल या बैंक से लिए गए थोड़े से कर्ज की किस्त समय पर चुकाने की चिंता रहती है। आधुनिक हो चुके मध्य वर्ग या उच्च वर्ग में से कई लोग बीमा योजनाओं का दुरुपयोग करते हैं या बिल अथवा कर्ज चुकाने में भी हेराफेरी से बाज नहीं आते, जबकि गरीब कर्ज न चुकाने पर बेचैन होने लगता है। मजदूरों और छोटे किसानों की आत्महत्या की घटनाएं इसी ईमानदारी के कारण होती हैं। इसी तरह वह बीमारी में भी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाना चाहता। सरकारी चिकित्सा सुविधाएं सीमित हैं। वहीं कुछ बड़ी बीमारी होने पर सरकारी चिकित्सा संस्थानों में भी दवाई, ऑपरेशन इत्यादि पर अधिक खर्च होने लगा है। उदारवादी अर्थव्यवस्था में आधुनिक चिकित्सा महंगी होती गई है। शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं राज्य सरकारों के अधीन हैं। इस दृष्टि से राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार स्वयं गरीब तबकों के समूहों को सीधे बीमा सुविधा प्रदान करेगी। निम्न आय वर्ग के लोगों के लए सामूहिक बीमा व्यवस्था अधिक सस्ती और उपयोगी होगी। यही नहीं, इन समूहों में केवल बीमार या बीमारी की आशंका से प्रभावित लोग ही शामिल नहीं होंगे, बल्कि हर साधारण मेहनतकश इस सेवा का लाभ ले सकेगा। सामाजिक और स्वयंसेवी संगठन इस योजना के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेंगे(संपादकीय,नई दुनिया,2.10.2010)।
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