अब मधुमेह के कारण पर वार कर मधुमेह से छुटकारा दिलाना संभव होगा। ऐसी दवाएँ तैयार हो गई हैं जो इंसुलिन हारमोन का स्राव करने वाली इंजलेट बीटा सेल की संख्या बढ़ा देगी। इन कोशिकाओं की संख्या बढ़ने से शरीर में इंसुलिन हारमोन का स्तर बढ़ जाएगा। इस हारमोन का स्तर बढ़ने पर मरीज को इस बीमारी से छुटकारा मिल सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अब मधुमेह रोगियों को इंसुलिन इंजेक्शन व रक्त शर्करा नियंत्रित करने वाली गोलियों के भरोसे जिंदगी नहीं काटनी होगी। शोध वैज्ञानिकों ने ग्लाइकोज लिंक्ड पेप्टाइड(जीएलपी-1)को विकसित किया है जिसके जरिए इंसुलिन हार्मोन स्रावित करने वाले आइजलेट बीटा-सेल की संख्या बढ़ा कर मरीज को बीमारी से मुक्ति दिलाई जा सकेगी।
संजय गांधी पीजीआई के के अंत:स्रावी रोग विशेषज्ञ प्रो.सुशील गुप्ता और जीटीबी दिल्ली के इंडोक्राइनोलाजिस्ट प्रो. एस वी मधु कहते हैं कि जीएलपी-1 एक्सेटेंटिन दवा के रूप में प्रयोग लाया जा रहा है। जीएलपी-1 दवा टाइप-टू मधुमेह रोगियों में कारगर साबित हुई है। यह इंसुलिन हार्मोंन के स्राव को बढ़ाती है,ग्लूकोजेन के स्राव को कम करती है,अमाशय के खाली होने की प्रक्रिया को धीमी करती है और भूख को कम करती है। इससे इंसुलिन हार्मोन बनाने वाली बीटा कोशिकाओं की संख्या बढ़ती है। कोशिकाओं की कार्यप्रणाली में सुधार होता है और इंसुलिन की कार्य शक्ति बढ़ती है(हिंदु्स्तान,लखनऊ,4.10.2010)।
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