गुरुवार, 2 सितंबर 2010

टेलीविजन से बढ़ रहा भेंगापनःएम्स

*एम्स में एक हजार बच्चों पर किया गया अध्ययन, नतीजों ने आंखें खोल दीं,

*बच्चों की आंखों में बढ़ रही विकृति, अधिकांश बच्चे कम उम्र के
*एक हजार बच्चों पर हुए सर्वे में छोटे बच्चों में बढ़ रही भैंगेपन की बीमारी का खुलासा
टेलीविजन (टीवी) का ज्यादा शौक बच्चों के लिए खतरनाक रूप लेता जा रहा है । बड़े बच्चों में आंखों की रौशनी में कमी और मोटापा जैसी बीमारियों का जनक टीवी छोटे बच्चों को भैंगापन जैसी बीमारी भी दे रहा है हालांकि इसके लिए माताओं का बच्चों को चुप कराने के लिए लिया जा रहा टीवी का सहारा भी बड़ा कारण हैं । बच्चों में बढ़ रही भैंगापन की बीमारी का खुलासा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान स्थित डॉ. आरपी सेंटर के नेत्र क्लीनिक द्वारा किए गए क्लीनिकल सर्वे में हुआ है। सर्वे पांच साल से कम उम्र के 1000 बच्चों पर किया गया। आरपी सेंटर के आई क्लीनिक के डॉ. प्रदीप शर्मा ने बताया कि कुछ साल पहले दो प्रतिशत बच्चों में भैंगेपन की शिकायत पाई जाती थी। इसे कंजेनाइटेल भैंगापन कहा जाता था। लेकिन सर्वे में पाया गया कि 60 फीसदी बच्चों में जन्म के तीन साल के अंतराल में दोनों आंखों का परस्पर दृश्य संतुलन भिन्न हो गया। इन बच्चों में अधिकांश वह बच्चे थे, जो कम उम्र से ही टीवी के शौकीन हो गए। सर्वे में पाया गया कि 40 प्रतिशत कामकाजी महिलाएं रोते हुए बच्चों को चुप कराने के लिए टीवी का सहारा ले रही हैं । तीन साल की उम्र तक टीवी देखने की बच्चों की यही मजबूरी एम्लबिया में बदल जाती है । कारण, एक चीज को देखने के लिए दोनों आंखें संतुलन नहीं बना पातीं। सर्वे में यह बात भी सामने आई कि 24 प्रतिशत माता-पिता भैंगेपन को लंबे समय तक पहचान ही नहीं पाते हैं । क्या है भैंगापन : छह प्रमुख मांसपेशियां आंखों की गतिविधि को नियंत्रित करती हैं जो निश्चित दूरी पर रखी किसी भी वस्तु पर कोण के रूप में केन्द्रित (एलाइंमेंट) कर मस्तिष्क तक उस वस्तु की तस्वीर भेजती हैं । भैंगेपन में मांसपेशियां समान रूप से केन्द्रित न होकर मस्तिष्क में तस्वीर को विचलित कर देखती हैं और वस्तु को देखने में बच्चे का संतुलन गड़बड़ा जाता है । इसे नर्व पैलसी भी कहा जाता है ।
प्रमुख तथ्य *10 फीसदी माता पिता भैंगेपन को बीमारी नहीं मानते
*24 फीसदी माता पिता को बीमारी बाद में समझ आती है
*2 फीसदी बच्चों में भैंगेपन का स्पष्ट लक्ष्ण नहीं दिखता
*एक साल की उम्र तक बच्चे तीन कोण (थ्री डायमेंशनल) दृष्टि का उपयोग बड़ों की अपेक्षा दस गुना अधिक करते हैं। इसी समय आंखों का सही एलाइंमेंट भी निर्धारित होता है
*जन्म के बाद तीन साल तक देखी गई परेशानी (हिंदुस्तान,दिल्ली,2.9.2010)

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