भारत सरकार योग की सैकड़ों मुद्राओं की एक नामावली तैयार कर उसे पेटेंट करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था को सौंपने जा रही है।
भारत सरकार को खासकर उन अमेरिकी कंपनियों को लेकर चिंता हो रही है जो भारत की पारंपरिक योग विधा का अपना स्वरूप तैयार कर उसे पेटेंट कराने की कोशिश कर रही हैं। योग को भारत की पारंपरिक सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न अंग माना जाता है और ये हज़ारों सालों से अस्तित्व में है।
लेकिन अच्छे स्वास्थ्य के एक बढ़िया साधन के तौर पर जैसे ही उसे अमरीका में लोकप्रियता मिली है, वैसे ही कुछ कंपनियों ने उसकी कुछ मुद्राओं का अपना स्वरूप तैयार कर उसका पेटेंट करवाने का प्रयास किया है।
पेटेंट :
लेकिन भारत के 'ट्रेडिशनल नॉलेज डिजिटल लाइब्रेरी' का कहना है कि सूर्य नमस्कार जैसी योग मुद्राएँ विश्व की साँझा धरोहर हैं और उस पर किसी एक संस्था का मालिकाना हक़ नहीं हो सकता।
अब योगियों का एक दल योग की सबसे लोकप्रिय मुद्राओं की फिल्म बनाकर उसकी सूची बना रहा है जिससे कि उसका अनुचित उपयोग न हो सके। 'यूएस योग एलायंस' के जॉन मैथ्यूज इस अभियान का स्वागत जरा सावधानीपूर्वक करते हैं।
जॉन मैथ्यूज का कहना है कि हमें उनकी इस चिंता की फिक्र है कि पश्चिमी देशों के बाजार का जो हाल है उसमें योग कुछ इस तरह से परिवर्तित हो सकता है जिसकी कभी कल्पना की ही नहीं गई हो, और पैसा कमाने के लिए कुछ लोग ऐसा ज्ञान रखने का दावा कर सकते हैं जिसका उन्हें कोई हक नहीं है। इसलिए हमें इस बात की खुशी है कि कुछ लोग योग को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
भारत की 'ट्रेडिशनल नॉलेज डिजिटल लाइब्रेरी' योग को उसके मूल रूप में बचाने की कोशिश में उस उद्योग से मुकाबला कर रही है जिसकी कीमत सिर्फ अमेरिका में ही छह अरब डॉलर के करीब आँकी गई है।
हाल के कुछ वर्षों में इसने कई कंपनियों के कराए पेटेंट को निरस्त करवाने में सफलता पाई है। इसमें कुछ पौधों के रस से दवा बनाने के पेटेंट भी शामिल हैं(बीबीसी हिंदी,30.8.2010)।
भारत सरकार योग की सैकड़ों मुद्राओं की एक नामावली तैयार कर उसे पेटेंट करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था को सौंपने जा रही है।
जवाब देंहटाएंये एक अच्छा कदम है।
शुभ काम में देरी नहीं होनी चाहिए ।
जवाब देंहटाएंजन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें ।