मानसून के दिनों में जो बीमारी आमतौर पर देखने को मिलती है, उनमें मलेरिया का नाम प्रमुख है। मलेरिया का प्रमुख कारण प्लाज्मोडियम परजीवी है। इससे संक्रमित मादा एनाफिलिज मच्छर के काटने से प्लाज्मोडियम मरीज की लाल रक्त कणिकाओं को तेजी से प्रभावित करता है, और लिवर में इस परजीवी की संख्या तेजी से बढ़ती चली जाती है। 12 से 24 घंटों के भीतर इसका प्रभाव संक्रमित व्यक्ति पर तेज बुखार, थकान, नाक बहने, सिर दर्द व उल्टी के तौर पर देखने को मिलता है। खुले गटर, पानी के गड्ढे, पानी भरी होदियां, ये सब गंदगी के स्रोत हैं। शहरों में कूलर, पानी की खुली टंकियां, टॉयर आदि का खुला कबाड़ भी मच्छरों के कुनबे बढ़ाता है। बरसात के ठहरे हुए पानी को मादा एनाफिलिज की ब्रीडिंग के लिए सटीक माना जाता है। प्लाज्मोडियम परजीवी की चार प्रजातियां हैं, प्लाज्मो-डिपम वाईवेक्स, प्लाज्मोडियम फैलसिपेरम, प्लाज्मोडियम मलेरियाई और प्लाज्मोडियम ओवेल। इसमें वाइवेक्स आम है जबकि फैलसिपेरम सबसे ज्यादा खतरनाक है जो सीधे मस्तिष्क को प्रभावित करता है। इसके अलावा यह यकृत, गुर्दे और आंतों के अलावा लाल रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करता है। ये बनते हैं जल्दी शिकार
छोटे बच्चें, गर्भवती महिलाएं, एचआईवी प्रभावित पुरुष व महिलाएं लक्षण
ज्यों ही प्लाज्मोडियम परजीवी मानव शरीर में पहुंचता है, तो उनकी संख्या तेजी से बढ़ने लगती है। आमतौर पर इसका ठिकाना लिवर यानी यकृत होता है। इसके बाद यह लाल रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करने लगता है। शुरुआत में शरीर का तापमान तेजी से बढ़ने लगता है। ठंड लगना और कंपकंपी का प्रभाव देखने को मिलता है। तेज सिरदर्द होता है और उल्टियां को यह क्रम कई बार दस से पन्द्रह दिनों तक देखने को मिलता है। अगर खून की जांच कर रोग पकड़ में आ जाए तो तत्काल ईलाज होना चाहिए वरना परजीवी शरीर के प्रमुख अंगों में रक्त प्रवाह रोक देता है, जो कि जानलेवा साबित हो सकता है। सेरिब्रल मलेरिया जो मस्तिष्क को सीधा प्रभावित करता है और भी गंभीर स्थिति पैदा करता है । बच्चों में तो इसका प्रभाव अधिक भयंकर होता है। तेज बुखार उनमें ऐंठन पैदा कर उन्हें मनोरोगी बना देता है। शुरुआती स्तर पर ईलाज प्रारंभ होने से बुखार नियंत्रित हो जाता है और मरीज गंभीर समस्या का सामना करने से बच जाता है। जांच
मलेरिया जांच के लिए रैपिड टैस्ट जांच जरूरी है, जिसमें रक्त में फैलसिपेरम प्लाज्मोडियम की उपस्थिति को आरबीसी के आधार पर गिना जाता है। पीसीआर (पॉलिमेरेज चेन रिएक्शन) टेस्ट भी किया जाता है। जांच के दौरान संक्रमण की गंभीरता के अनुसार कई तरह के परिणाम देखने को मिलते हैं। किडनी फंक्शनिंग टेस्ट, में सीरम क्रेटाइन व ब्लूरूबिन का 3एमजी/डीएल से कम होना होता है। गंभीर रूप से एनेमिक पाया जाना, जिसमें रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा 5 डीएल/एमजी से कम हो जाती है। एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम जांच का पॉजिटिव आना। हाइपोग्लीसिमिया की स्थिति, जिसमें प्लाज्मा ग्लूकोज की स्थिति 40एजी/डीएल से अधिक पाई जाती है। रक्तचाप वयस्कों में 80 एमएमएचजी से अधिक तथा बच्चों में 70 एमएम एचजी से अधिक गंभीर लक्षण हैं। उपचार
एम्स के कम्यूनिटी मेडिसन विभाग के डॉ. बीर सिंह के अनुसार साधारण मलेरिया में क्लोरोक्वीनिन दवाई को मलेरिया की जांच पॉजिटिव आने के बाद दिया जाता है, लेकिन मलेरिया अनुसंधान संस्थान द्वारा मलेरिया की वैक्सीन भी लांच की गई है। क्लोरोक्वीनिन दवाई को फैलसिपेरम प्लाज्मोडियम ‘पी’ में अधिक कारगर नहीं माना जाता, इसलिए दवा का इस्तेमाल करने से पूर्व मलेरिया प्लाज्मोडियम की जांच जरूरी है। घरेलू इलाज
- दीये में नीम का तेल जलाने से मच्छर भागता है।
- घर में तुलसी का पौधा लगाने से भी मच्छर के प्रकोप से बचा जा सकता है।
- तुलसी, काली मिर्च और लोंग की चाय मरीज को फायदा करती है।
- औषधि मिश्रित धुआं करने से घर तथा वातावरण स्वच्छ तथा मच्छर रहित रहता है।
- पानी एकत्र करने वाली जगहों पर मिट्टी का तेल छिड़कने से भी मच्छर भाग जाते हैं।
- आयुर्वेद में नीम, वासा, पिप्पली, सोंठ, हींग, करंज, तुलसी, आंवला, गिलोय तथा गेहूं का जावरा को मलेरिया सहित हर तरह के बुखार को दूर करने के लिए उपयोगी औषधियों में गिना गया है। इनका सेवन औषधियां अनुभवी चिकित्सक की देख-रेख और सलाह के अनुसार करना चाहिए।
डॉ़ सुनील कुमार आर्य
वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य, नई दि. नगर पालिका परिषद (हिंदुस्तान,दिल्ली,21.9.2010)
"ऐसा नहीं कहा जा सकता कि आप फलां तरीक़े से स्वस्थ हैं और वो अमुक तरीक़े से। आप या तो स्वस्थ हैं या बीमार । बीमारियां पचास तरह की होती हैं;स्वास्थ्य एक ही प्रकार का होता है"- ओशो
गुरुवार, 23 सितंबर 2010
मच्छर और मलेरिया से मुक्ति के उपाय
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कल 24 सितम्बर है ! कल को सिर्फ़ कल की ही तरह देखें...ठीक उस कल की तरह जो बीते कल में आज को देखा था...! हम कल ऐसे हालात से गुज़रेंगे जिसमें हमें सिर्फ़ एक ही चीज़ को दर्शाना बेहद ज़रूरी है... और वो है ... संयम और सब्र ! अगर हम ऐसा ना कर पाए तो देश एक फ़िर से 60 साल पीछे चला जाएगा. क्या हम चाहेंगे कि हमारे सब्र और संयम ना रख पाने की वजह से आने वाली पीढ़ी हमें गलियां दे... जैसे कि हम उनको कहते हैं जो हमारे पूर्वज थे जिनके बेहद गिरे हुए फैसलों ने हमें आजतक शर्मशार किया हुआ है. हमें किंचित मात्र भी जज़्बाती होने की ज़रूरत नहीं, और अगर आप वाक़ई जज़्बाती होना चाहते हैं तो देशहित में जज़्बाती होईये !
जवाब देंहटाएंसही उपाय बताए है आपने
जवाब देंहटाएंअच्छा उपाय दिया।
जवाब देंहटाएंकाम के जानकारी। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंआभार, आंच पर विशेष प्रस्तुति, आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पधारिए!
अलाउद्दीन के शासनकाल में सस्ता भारत-2, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें