यौन अज्ञानता और कम उम्र में शादी की वजह से देश की किशोरियों में गर्भपात के मामले ब़ढ़ रहे हैं। भारत के ब़ड़े शहरों लेकर से कस्बे तक के अस्पताल के आंक़ड़े दर्शाते हैं कि २७ से ३० फीसदी गर्भपात किशोर उम्र की ल़ड़कियां व महिलाएं करा रही हैं। इनमें से अधिकांश की उम्र २५ वर्ष से कम हैं। यौन संबंध और प्रजनन स्वास्थ्य के प्रति अज्ञानता की वजह से किशोर उम्र में अनचाहे गर्भ के मामले तेजी से ब़ढ़ रहे हैं।
भारत में प्रति वर्ष किसी न किसी कारणवश ६० लाख महिलाएं गर्भपात कराती हैं। सही जानकारी नहीं होने की वजह से इनमें से २० लाख महिलाओं का गर्भपात स्वतः हो जाता है जबकि चार लाख महिलाओं पर दबाव डालकर उनका गर्भ गिराया जाता है। ज्यादातर मामलों में गर्भपात गैरकानूनी तरीके से कराया जाता है। डॉक्टरों के मुताबिक कई बार गर्भपात असुरक्षित और जानलेवा भी साबित होता है।
फैमिली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफपीएआई) के महासचिव विश्वनाथ कोलिवा़ड़ के अनुसार भारत के ग्रामीण व शहरी अस्पताल में सर्वे किया गया। इस सर्वे का निष्कर्ष यह दर्शाता है कि अनचाहे गर्भ से बचाव की जानकारी नहीं होने की वजह से कम उम्र की महिलाएं गर्भधारण कर रही हैं। अनचाहे होने की वजह से करीब ३० फीसदी महिलाएं गर्भपात करा रही हैं।
गर्भनिरोध के इतने साधन होते हुए भी पुरूषों व महिलाओं में इसके प्रति अज्ञानता व झिझक बरकरार है। युवाओं को यौन शिक्षा और प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में जानकारी होना जरूरी है। अन्यथा अनचाहा गर्भ और गर्भपात के मामले ब़ढ़ते रहेंगे। लोगों में शॉर्ट टर्म व लांग टर्म गर्भनिरोध के साधनों के उपयोग की सही जानकारी नहीं है।
एफपीएआई ने बायर शेयरिंग फार्मा के साथ मिलकर २६ सितंबर को "वर्ल्ड कंट्रासेप्शन डे" मनाने का निर्णय लिया है। इसका उद्देश्य पुरूषों को यह बताना है कि स्त्रियों की अपेक्षा उनके लिए गर्भनिरोध के साधनों को अपनाना अधिक आसान है।
पूरी दुनिया में अनचाहे गर्भ की वजह से प्रति वर्ष चार करो़ड़ २० लाख महिलाएं गर्भपात कराती हैं। गर्भनिरोध के साधनों का सही उपयोग नहीं करने की वजह से प्रति वर्ष पांच करो़ड़ १० लाख महिलाएं गर्भधारण करती हैं और बच्चे पैदा करती हैं। इसके अलावा,ढ़ाई करो़ड़ महिलाएं सही गर्भनिरोध का उपयोग नहीं करने और गर्भनिरोधक साधनों के फेल होने की वजह से गर्भधारण करती हैं(संदीप देव,नईदुनिया,दिल्ली,25.9.2010)।
हैप्पी वर्ल्ड कंट्रासेप्शन डे
जवाब देंहटाएंसही कहा जागरूकता की आवश्यक्ता है ।
जवाब देंहटाएंये एक चिंताजनक बात है। शिशुहत्या लगती है मुझे। जरा जागरुकता रहे तो इस तरह के अपराध से बचा जा सकता है। अपनी वासना के आवेश में ये नहीं सोच पाते कि एक अजन्मा शिशु कितनी बेरहमी से मौत के हवाले हो जाता है। उसपर समाज बिन ब्याही मां को आदर देने में कंजूसी दिखाता है। ये सब जानते हुए इस तरह के कार्यों से सही में घिन होती है। जरा सी सावधानी से इस तरह की समस्याएं घट सकती हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
जवाब देंहटाएंकहानी ऐसे बनी– 5, छोड़ झार मुझे डूबन दे !, राजभाषा हिन्दी पर करण समस्तीपुरी की प्रस्तुति, पधारें
आज के कंप्यूटर युग में जहाँ सारी आधी अधूरी जानकारियां सभी की टिप्स पर रहती हैं , यौन एक्सपोजर जल्दी होने से इस तरह की स्थिति उत्तपन्न हुई है । इसीलिए टीनेज प्रेगनेंसी की इन्सिडेन्स बढती जा रही है ।
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