हिमचल प्रदेश में उना,शिमला के पास, चुराग (करसोग) के 78 वर्षीय वैद्य राजकुमार गौतम ने कैंसर की दवा इजाद कर उसके इलाज का दावा किया है। उनका दावा है कि इस दवा से कई लोगों को लाभ मिला है। वह 60 साल से आयुर्वेदिक पद्धति से इलाज कर रहे हैं।
गौतम इन बीमारियों का इलाज रोगी की नब्ज और मेडिकल रिकॉर्ड के आधार पर करते हैं। इस क्षेत्र में भारत सरकार के आयुष विभाग से उन्हें ‘राष्ट्रीय गुरु’ की उपाधि से सम्मानित किया है। हालांकि उन्होंने आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में कोई डिग्री हासिल नहीं की है, लेकिन पुश्तैनी अनुभव के आधार पर वह दर्जनों बीमारियों का इलाज कर रहे हैं। गौतम यहां तीन दिवसीय आरोग्य मेले में रोगियों की जांच और उपचार के लिए आए हैं।
इस दौरान वे रोगियों की निशुल्क जांच करेंगे। गौतम का कहना है कि उन्होंने 18 वर्ष की आयु में ही इस पद्धति से लोगों का उपचार करना शुरू किया था। उन्हें प्रदेश आयुर्वेद विभाग से भी मान्यता मिल चुकी है। गौतम ने बताया कि उन्होंने 1985 से कैंसर का इलाज करना शुरू किया। इसके अलावा वे कई अन्य असाध्य बीमारियों के रोगियों को भी ठीक कर चुके हैं।
दवा के पेटेंट की तैयारी
वैद्य राजकुमार गौतम ने अपने अनुभव और लंबी रिसर्च से एक आयुर्वेदिक दवाई तैयार की है। इससे लीवर कैंसर, लंग्स, ब्रेन ट्यूमर, अधरंग, गठिया, ब्लड शूगर आदि बीमारियों का उपचार किया जा सकता है। इस दवाई को उन्होंने ब्रह्रास्त्र रसायन का नाम दिया है और इसी नाम से पेटेंट करवाने के लिए दावा किया है। मेडिकल क्षेत्र में इस दवाई पर न्यू एंटी केंसर्ज हर्बल मेडिसन के नाम से रिसर्च जारी है।
विरासत में मिला हुनर
उनके पिता स्वर्गीय बिशन चंद और दादा नोखू राम आयुर्वेद पद्धति के नामी वैद्य रह चुके हैं। दोनों को सुकेत रियासत में राजसी वैद्य का दर्जा प्राप्त था। गौतम अब इस पुशतैनी पेशे को आगे बढ़ा रहे हैं।
डॉक्टरों को भी सिखा रहे
मौजूदा समय में गुरु-शिष्य पोषण योजना के अंतर्गत गौतम के पास आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ. मीनाक्षी, डॉ. आस्था और डॉ. भारतेंदु पुरानी पद्धति के तरीके सीख रहे हैं।
(दैनिक भास्कर,शिमला,25.9.2010)
काश, यह दावा सच भी साबित हो जाए।
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प्यार का तावीज..
सर्प दंश से कैसे बचा जा सकता है?
Interesting .
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