रविवार, 26 सितंबर 2010

बैठे ठाले लोगों का 'अनफिट' देश बन गया है भारत

राष्ट्रमंडल खेलों के ऐन पहले यह सुनने में शायद हमें बुरा लगे लेकिन भारत बैठे ठाले "अनफिट" लोगों का देश बन गया है । अच्छे स्वास्थ्य के लिए शारीरिक श्रम का दिशा निर्देश तैयार करने के लिए राजधानी में जुटे देश विदेश के ३०० से अधिक विशेषज्ञों के बीच इस बात पर लगभग सहमति थी । यही वजह है कि भारत के लोगों को कितनी देर टहलने या व्यायाम करने की नसीहत दी जाए, इस बात पर सर्वसम्मति बनाने में उन्हें काफी माथा पच्ची करनी पड़ी। विशेषज्ञों की राय थी कि भारतीयों को उतने ही शारीरिक श्रम की नसीहत दी जाए जिसे करने के लिए वे तैयार हो जाएं । यानी जितना वे निभा सकें । विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, नेशनल डायबिटीज, ओबेसिटी एंड कोलेस्ट्रॉल फाउंडेशन (एन-डॉक)और क्रोनिक केयर फाउंडेशन द्वारा स्थिर जीवन शैली वाले भारतीयों के लिए शारीरिक श्रम का दुनिया के दूसरे देशों से अलग सर्वसम्मत दिशा निर्देश तैयार करने के लिए आयोजित सम्मेलन में आए विशेषज्ञों में फिटनेस को लेकर भारत की एक जैसी छवि थी । फोर्टिस अस्पताल के मधुमेह विशेषज्ञ व एन-डॉक के अध्यक्ष डॉ. अनूप मिश्रा ने साफ कहा, हम एक अनफिट देश हैं । मुख्य अतिथि के रूप में आए राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति के उपाध्यक्ष राजा रणधीर सिंह ने भी यही बात कही। उन्होंने कहा, जब हम बच्चे थे तो हमारे लिए शारीरिक श्रम अनिवार्य होता था । आज अब वैसा नहीं है । अब टेलीविजन ही बच्चों के लिए खेल का मैदान बन गया है । यह जीवन शैली स्वास्थ्य के लिहाज से तो कतई ठीक नहीं है । स्वास्थ्य के लिए शारीरिक श्रम के चंद बड़े विशेषज्ञों में से एक ऑस्ट्रेलिया के स्कूल ऑफ ह्यूमन मूवमेंट स्टडीज के प्रो. एंड्डयू पी. हिल ने कहा कि भारत सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति बनने की राह पर है इसलिए उसे फिटनेस को प्राथमिकता देनी होगी । प्रो. हिल का बेटा भी राष्ट्रमंडल खेलों में बटरफ्लाई तैराकी प्रतियोगिता में भाग लेने आया है । क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी के साउथ एशिया प्रोफेसर भारतीय मूल के प्रो. शील नूना ने कहा, मैं ऑस्ट्रेलिया में यह देख कर दंग रह जाता हूं कि आधे पौने घंटे दूर रहने वाले बड़े अधिकारी भी साइकिल से ही दफ्तर जाते हैं । डॉ. अनूप मिश्रा ने कहा, चूंकि भारत की आबादी पर खास जीन की वजह से दिल व मधुमेह के रोगों का सबसे अधिक खतरा है, यहां शारीरिक श्रम का अलग दिशा निर्देश तैयार होना जरूरी है(धनंजय,नई दुनिया,दिल्ली,26.9.2010)।

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूबसूरती के साथ शब्दों को पिरोया है इन पंक्तिया में आपने ........

    पढ़िए और मुस्कुराइए :-
    आप ही बताये कैसे पर की जाये नदी ?

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  2. मैं भी इसी श्रेणी में आता हूं।

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