दिल के दौरे का प्रमुख कारण तीन ऐसे रोग हैं जो इस संकट का संकेत दे सकते हैं- ‘ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल। इन बीमारियों का बढ़ना हृदय रोगों की आशंका को भी बढ़ा देता है। इन तीनों को हार्ट अटैक के रिस्क फैक्टर में सबसे ऊपर रखा जाता है। दुनिया में सब से ज्यादा दिल के मरीज भारत में हैं। यह बात वाकई काफी चौंकाने वाली है। हमारे यहां यह बीमारी इतनी तेजी से बढ़ रही है कि यदि यही हाल रहा तो सन् 2011 तक हमारे यहां विश्व के कुल हृदय रोगियों में से 60 प्रतिशत भारत में होंगे। एक अनुमान के अनुसार इस समय भारत में 8 करोड़ से ज्यादा हृदय रोगी हैं। उसमें भी शहरों में दिल के रोगियों की संख्या गांवों के मुकाबले ज्यादा है। मेडीसिटी के अध्यक्ष और हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ़ नरेश त्रेहन कहते हैं ‘यह बेहद दुख की बात है कि भारत दिल के रोगियों की राजधानी बन गया है। नियमित चैकअप और सावधानियां दिल की बीमारियों से निजात दिला सकती है।’ योग विशेषज्ञों के अनुसार, हमारे यहां योग का जितना विशाल अभियान टीवी और अखबारों में दिखाई देता है, असली जिंदगी में उतना नहीं है। ज्यादातर लोग सिर्फ कुछ दिन योग वगैरह शुरू तो करते हैं, लेकिन उसे नियमित जारी नहीं रख पाते। फिनलैंड में हैं सबसे कम मरीज
यह छोटा सा और बिना शोर शराबे से धड़कने वाला दिल आखिर इतने बड़े ‘अटैक’ का शिकार क्यों हो जाता है। भारत में जहां दिल के रोगी सबसे ज्यादा हैं, वहां फिनलैंड एक ऐसा देश है जहां दिल के मरीज सबसे कम हैं। इस संबंध में वहां जब रिसर्च की गई तो इसकी प्रमुख वजह वहां के लोगों के संतुलित खान-पान के तौर पर देखने को मिली। इसके अलावा, ऐसा भी माना जाता है कि वहां पाई जाने वाली एक खास किस्म की मछली के सेवन से भी इस रोग में काफी हद तक रोकथाम होती है। सबसे ज्यादा खतरा कहां है
नेशनल हार्ट इंस्टीटयूट के कंसलटेंट और पुरानी दिल्ली के सुप्रसिद्ध डॉ़ अनंत एस. दवे कहते हैं, ‘इस बीमारी का सबसे बड़ा खतरा वर्क प्लेस यानी दफ्तर, दुकान या फैक्ट्री वगैरह से जुड़ा तनाव व पारिवारिक समस्याएं होती हैं। कार्यस्थल की जटिल परिस्थितियां अक्सर तनाव के स्तर को बढ़ा देती है। यही कारण है कि ‘वर्ल्ड हार्ट फाउंडेशन’ ने इस बार 26 सितम्बर को मनाए जाने वाले ग्यारहवें ‘विश्व हृदय दिवस’ का विषय लगातार दूसरे वर्ष यही रखा है और कहा है, ‘अपने दिल के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी स्वयं लें।’ डॉ़ दवे यह भी कहते हैं कि ‘इसके लिए संस्थानों को अपने यहां जिम और रिलेक्स सेंटर बनाने चाहिएं, ताकि कार्यरत लोग नियमित रूप ‘डयूटी आवर्स’ के पहले या बाद में व्यायाम कर तनाव कम कर सकें।’ दिल के रोग के प्रमुख कारण
दिल के रोग का एक सबसे बड़ा कारण आनुवांशिक यानी पारिवारिक इतिहास है। डॉ़ नरेश त्रेहन कहते हैं, ‘यदि किसी परिवार में बड़े-बुजुर्गो में इस बीमारी की परंपरा रही है, तो आगे आने वाली पीढ़ी में भी इसकी आशंका बढ़ जाती है। माता-पिता दोनों को ही यह बीमारी है तो उनके बच्चों में यह खतरा चार गुना हो जाता है। दिल्ली के यमुना पार में वालिया नर्सिग होम के मशहूर डा़ अचल शंकर दवे कहते हैं, ‘दिल के दौरे का प्रमुख कारण तीन ऐसे रोग हैं जो इस संकट का संकेत दे सकते हैं- ‘ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल। इन बीमारियों का बढ़ना हृदय रोगों की आशंका को भी बढ़ा देता है। इन तीनों को हार्ट अटैक के रिस्क फैक्टर में सबसे ऊपर रखा जाता है। इसके अलावा, ट्राइग्लिसराइट की खून में अधिक मात्रा और मोटापा भी इस बीमारी के लिए खतरनाक रहते हैं।’
धूम्रपान करना या शराब का अधिक मात्र और नियमित सेवन भी दिल की बीमारी को जन्म देने में अहम भूमिका निभाता हे। धूम्रपान करने वाले लोगों में लगभग 60 प्रतिशत को दिल का रोग घेर लेता है। यह कहना है यमुना पार के एक और जाने-माने डॉक्टर बी. एम. डोडा का जो नेशनल हार्ट इंस्टीटयूट के भी पूर्व चिकित्सक हैं। डा़ डोडा यह भी स्पष्ट कहते हैं, ‘शरीर में दो प्रकार के कोलेस्ट्रॉल होते हैं जिनमें एसडीएल कोलेस्ट्रॉल इंसान का दोस्त होता है जो यदि ज्यादा हे तो अच्छा है, मगर एलडीएल कोलेस्ट्रॉल यदि ज्यादा हो तो शरीर का दुश्मन नम्बर वन बन जाता है।’ दिल की बीमारी और इसके कारणों का गहन अध्ययन करने के लिए दुनिया के कई देशों का भ्रमण चुके इन्द्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के डॉ़. विवेक गुप्ता कहते हैं, ‘इनसान का अधिक महत्वाकांक्षी होना और अपने जीवन और परिवार का स्तर सुधारने के लिए जरूरत से कहीं ज्यादा भागदौड़ करना भी दिल की बीमारी का कारण बनता जा रहा है। इससे तनाव बढ़ता है। दिल की बीमारी से ग्रस्त लोगों में 50 प्रतिशत में तनाव ही इसका प्रमुख कारण पाया जाता है। अधिक भागदौड़ के बाद भी यदि उस इनसान के सपने पूरे नहीं होते तो इससे उत्पन्न तनाव दिल की बीमारियों को बढ़ा देता है। डॉ़ अचल शंकर दवे तो यह भी कहते हैं कि दिल के रोगी को अचानक कोई बड़े दुख या बड़ी खुशी का समाचार भी हार्ट अटैक का कारण बन जाता है। यह भी देखा गया है कि सुस्त और आलसी लोगों में भी दिल की बीमारी अधिक होती है। ऐसे लोगों का दिल का आकार बढ़ जाता है। एक सर्वे के अनुसार लगभग 70 प्रतिशत ऐसे लोग दिल के रोगों के शिकार बन जाते हैं। बचने के लिए क्या करें
विभिन्न विशेषज्ञों के अनुसार ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर के विषय में सावधान रहना चाहिए। नियमित रूप से जांच करवाते समय। इनमें से कोई भी समस्या होने पर इस बीमारी को किसी तरह भी बढ़ने नहीं दें। इसके लिए पहला प्रयास खानपान है। दूसरा व्यायाम है और यदि इनसे बात नियंत्रण में न हो तो चिकित्सकों द्वारा बताई गई दवाइयों, का बताई गई मात्र में नियमित सेवन करना चाहिए।
डा़ अनंत एस. दवे कहते हैं, ‘इसके लिए सुबह की सैर बहुत लाभप्रद है। अच्छे पर्यावरण में की गई सुबह की सैर से इनसान को भरपूर ऑक्सीजन मिलती है, उसका दिल और धमनियां स्वस्थ रहती हैं, लेकिन घास पर नंगे पैर घूमने की पुरानी मान्यता गलत साबित हो गई है। इसलिए जूते चप्पल पहन कर ही घूमना चाहिए। फिर सैर के अलावा कुछ देर योग वगैरह करें तो सोने पर सुहागा है। साथ ही 40 की उम्र में पहुंचने पर नमक, मीठा और तले हुए पदाथरें का सेवन कम कर देना चाहिए।’
धूम्रपान बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। शराब का सेवन भी न करें तो अच्छा है। यदि शराब का सेवन करते हैं, तो दो सामान्य पैग से ज्यादा न लें और वह भी हफ्ते में दो बार से अधिक नहीं। मतलब यह है कि खानपान हमेशा संतुलित होना चाहिए जो कम नमक, कम घी और कम मीठे के अलावा पौष्टिक होना चाहिए। डा़ बी. एम. डोडा कहते हैं, ‘वजन न बढ़े इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए। हालांकि यह तथ्य चौंकाने वाला है कि हार्ट अटैक के बाद बहुत से मोटे लोगों की धमनियां सुरक्षित मिलती हैं जिससे उनकी जान बचाना आसान हो जाता है। पर यह भी सच है कि स्लिम-ट्रिम और चुस्त व मस्त रहने वालों को दिल की बीमारी कम होती है और मोटे लोगों को ज्यादा। इसलिए वजन नियंत्रित रखने में ही भलाई है। साथ ही यह भी प्रयास रहे कि आपकी दिनचर्या नियमित रहे।
इन सभी बातों के अतिरिक्त जो बात सभी डॉक्टर एक स्वर में कहते हैं, वह यह कि सभी को अपना नियमित चैकअप कराते रहना चाहिए और यह प्रक्रिया 30 बरस की उम्र के बाद ही शुरू हो जानी चाहिए। नियमित चैकअप बीमारी के अंकुर फूटने से पहले ही उन्हें काफी हद तक रोक देता है। इसलिए नियमित चेकअप बेहद जरूरी है(प्रदीप सरदाना,हिंदु्स्तान,दिल्ली,21.9.2010)।
"ऐसा नहीं कहा जा सकता कि आप फलां तरीक़े से स्वस्थ हैं और वो अमुक तरीक़े से। आप या तो स्वस्थ हैं या बीमार । बीमारियां पचास तरह की होती हैं;स्वास्थ्य एक ही प्रकार का होता है"- ओशो
बुधवार, 22 सितंबर 2010
खुद संभालें दिल
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हृदयरोग पर सम्पूर्ण लेख । बढ़िया जानकारी प्रदान की है ।
जवाब देंहटाएंलोगों को जागरूक करता आलेख। बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
जवाब देंहटाएंअलाउद्दीन के शासनकाल में सस्ता भारत-2, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें