बुधवार, 22 सितंबर 2010

गैलेक्सो की स्पाइरिवाःअसाध्य अस्थमा को बाय-बाय

अस्थमा रोगियों के लिए एक खुशखबरी। शोधकर्ताओं ने अस्थमा के लिए नई दवा की खोज की है। यह नई दवा उन मरीजों के लिए भी फायदेमंद होगी, जिनमें अस्थमा रोग नियंत्रित नहीं हो पाता है। इस शोध के लिए अमेरिकी सरकार ने फंड मुहैया कराया और शोधकर्ताओं ने इस शोध के लिए करीब एक मिलियन डॉलर खर्च किए। अमेरिकी शोधकर्ताओं द्वारा खोजी गई नई दवा का नाम स्पाइरिवा है। अस्थमा रोगियों को इस दवा से उतना ही फायदा होता है, जितना सेरेवेंट दवा से होता है। अस्थमा पर नियंत्रण पाने के लिए ग्लैक्सो द्वारा बनाई जा रही सेरेवेंट दवा अभी तक सबसे कारगर है। एक शोधकर्ता ने बताया कि अस्थमा के उपचार के लिए बनाई गई नई दवा स्पाइरिवा, ग्लैक्सो द्वारा बनाई जा रही सेरेवेंट के बराबर ही मरीजों को फायदा पहुंचाती है। वर्तमान में वैश्विक स्तर पर लगभग 300 मिलियन लोग अस्थमा से ग्रसित हैं, जिनमें 22 मिलियन रोगी तो अमेरिका में है। इनमें करीब 4000 मरीज प्रत्येक वर्ष मृत्यु के शिकार हो जाते हैं। जिन अस्थमा रोगियों पर नियंत्रण नहीं पाया जाता है, उन्हें वर्तमान गाइडलाइन के मुताबिक दवा की खुराक को दुगुना कर दिया जाता है और साथ में मांसपेशियों पर नियंत्रण पाने के लिए अलग से दवा दी जाती है, जिससे मरीज की सांसें बरकरार रह सके, लेकिन यह भी बहुत अधिक कारगर नहीं है। नए उपचार की खोज के लिए शोधकर्ताओं ने अस्थमा के इलाज में सहायक तीनों तरीकों को शोध में आजमाया। यानि, स्टेरॉइड दवा की खुराक को दुगुना करना, ग्लैक्सो की दवा सेरेवेंट और नई दवा स्पाइरिवा, इन तीनों से होने वाले फायदे को देखा गया। इसके लिए शोधकर्ताओं ने 210 अस्थमा मरीजों को शामिल किया। ये सभी वैसे रोगी थे, जिनमें अस्थमा नियंत्रित नहीं हो पा रहा था। शोधकर्ताओं ने प्रत्येक दवाओं को दो-दो सप्ताह के अंतराल पर 14 सप्ताह तक मरीजों को दिया। शोधकर्ताओं ने पाया कि उनके द्वारा बनाई गई नई दवा स्पाइरिवा, स्टेरॉइड दवाओं की खुराक को दुगुना करने से भी अधिक फायदा पहुंचा रहा था। साथ ही ग्लैक्सो द्वारा बनाई जा रही दवा सेरेवेंट के बराबर मरीजों को ठीक कर रहा था। प्रमुख शोधकर्ता डॉ. लेविस स्मिथ ने बताया कि स्पाइरिवा अस्थमा रोगियों के इलाज के लिए एक नया विकल्प है। इतना ही नहीं, कुछ डॉक्टर तो इन्हें उपयोग में भी ला रहे हैं, खासकर उन मरीजों में जिनमें स्टेरॉइड दवा से कोई फायदा नहीं होता है(अमर उजाला,दिल्ली,21.9.2010)।

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