बुधवार, 29 सितंबर 2010

व्यायाम के लिए नई गाइडलाइंस

अनियमित दिनचर्या से जुड़ी बीमारियों का ग्राफ बढ़ने के साथ ही देश में एरोबिक, योगा व व्यायाम का भी रूझान बढ़ा। इसके बावजूद, बीमारियां नियंत्रित नहीं हो रही हैं, जिसका सीधा असर अप्रशिक्षित योगाभ्यास या व्यायाम का माना गया है। भारतीयों को व्यायाम व एरोबिक की सही दिशा देने के लिए नेशनल डायबिटिक ओबेसिटी एंड कोलेस्ट्रॉल फाउंडेशन, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ कर्टिन विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया ने मिलकर व्यायाम की नई गाइडलाइंस जारी की हैं, जिसके बाद हर उम्र के व्यक्ति के लिए व्यायाम की अलग पाठशाला होगी। यही नहीं, पहली बार मधुमेह व दिल की बीमारियों से पीड़ित मरीजों के लिए भी व्यायाम की सलाह दी गई है।

किसके लिए जरूरी व्यायाम अब तक बच्चों के लिए व्यायाम की जरूरत को सही नहीं बताया गया था, लेकिन ताजा अध्ययन कहते हैं कि बढ़ने की उम्र में अधिक से अधिक शारीरिक श्रम बच्चों की मांसपेशियों को मजबूत करता है। यहां तक निर्धारित वजन के वेट लिफ्टिंग को भी बच्चों के लिए सही बताया गया है। विशेषज्ञों के अनुसार हर वह व्यक्ति जो 4 से 5 घंटे एक जगह बैठकर काम कर रहा है, साथ ही जंक फूड, अधिक तेल व वसा का सेवन कर रहा है, परिवार में मोटापे व दिल की बीमारी का इतिहास रहा है, तो उसे कम से 60 मिनट रोजाना व्यायाम करना जरूरी है। यह व्यायाम कई तरह का हो सकता है, जिसमें मॉडरेट एक्सरसाइज भी शामिल है। पहली बार मधुमेह व दिल की विभिन्न बीमारियों से पीड़ित रोगियों के लिए भी व्यायाम की जरूरत को महत्व दिया गया है, जिसे कार्डिक रेस्पिरेटरी फिटनेस की संज्ञा दी गई है।

क्यों जरूरत पड़ी भारतीयों की बीमारी के संदर्भ में विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के बाद ही व्यायाम की गाइडलाइन जारी करने की जरूरत समङी गई, जिसके अनुसार पिछले दस साल में देश में मधुमेह के मरीजों और दिल की बीमारी का खतरा अन्य देशों की अपेक्षा दस गुना अधिक है। संगठन के अनुसार अकेले वर्ष 2010 में भारतीयों पर 43 प्रतिशत नॉन कम्युनिकेबल डिज़ीज़ (सीएचडी, मधुमेह, वॉल्व खराब होना) व 60 प्रतिशत बोझ हाइपरटेंशन का है। राष्ट्रीय रोग संचारी विभाग के अनुसार वर्ष 1990 में संचारी रोगों से मरने वालों का आंकड़ा जहां 40.4 प्रतिशत तक रहा था, वर्ष 2020 तक 66 प्रतिशत तक पहुंचने की संभावना है। बीमारियों के आंकड़ों का ग्राफ बढ़ने का सबसे बड़ा कारण लाइफस्टाइल को माना गया है, जिसे नियंत्रित करने के लिए देश में विशेष गाइडलाइन की जरूरत महसूस की गई।

किसके लिए क्या व्यायाम बच्चों के लिए: शरीर के साधारण विकास के लिए शारीरिक श्रम जरूरी है। कंप्यूटर का अधिक प्रयोग और स्कूल की अधिक पढ़ाई का बोझ बच्चों को बाहर खेलने का मौका कम कर रहा है। मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए बच्चों में शारीरिक श्रम व व्यायाम की जरूरत को बताया गया है। अब तक वेट लिफ्टिंग के व्यायाम से बच्चों को दूर रहने की सलाह दी जाती थी, लेकिन हालिया अध्ययन कहते हैं कि निर्धारित वजन का व्यायाम बच्चों के लिए सही है। जिसे प्रशिक्षण ट्रेनर की सलाह पर किया जा सकता है। व्यायाम को सही दिशा देने के लिए स्कूलों को भी एप्रोच किया गया है, जिसमें खेल के मैदान के साथ ही पीटी व शारीरिक श्रम के घंटे अधिक किए जाने की बात कही गई है। पीडियेट्रिक कार्डियोवस्कुलर डिज़ीज़ यानी बच्चों में दिल की बढ़ती परेशानी को भी ध्यान में रखा गया है, जिसके अनुसार केवल एक जगह पीटी के अलावा बच्चों को दौड़ने व कूदने के व्यायाम से दिल में रक्तसंचार की प्रक्रिया को अधिक सुचारू रखा जा सकता है।

नये नियम के अनुसार बच्चों का एक घंटे से अधिक टीवी व कंप्यूटर देखना नुकसानदेह हो सकता है, जबकि रोजाना दो घंटे से अधिक आउटडोर गेम को अधिक महत्व दिया गया है।

गर्भवती महिलाओं के लिए : गर्भवती महिलाओं के लिए भी व्यायाम को अधिक महत्वपूर्ण बताया गया है, इस दौरान शरीर में कई तरह के हार्मोनल परिवर्तन होते हैं, इसके लिए मांसपेशियों में संचार होना व कैलोरी का लगातार बर्न होते रहना लाभदायक है। गर्भवती महिलाओं के लिए केवल बीमारियों से बचने के लिए ही नहीं बल्कि ओबेसिटी से बचने के लिए भी व्यायाम जरूरी कहा गया है, जिसके लिए पहले महिला रोग विशेषज्ञ व डायटिशियन से संपर्क करना जरूरी है। अब तक किए गए अध्ययन के अनुसार गर्भकाल की शुरुआत में तीन से चार महीने में किए गए व्यायाम का असर नॉन सजिर्कल डिलिवरी के रूप में सामने आया है, हालांकि पांचवें महीने के बाद व्यायाम प्रशिक्षित ट्रेनर के हस्तक्षेप के बाद ही करने की सलाह दी गई है।

सामान्य वयस्क के लिए : औसतन ऑफिस में पांच से छह घंटे बिताने वाले साधारण वयस्कों के लिए 60 मिनट व्यायाम जरूरी बताया गया है, जिसमें 30 मिनट मॉडरेट व्यायाम व 15-15 मिनट योग व ध्यान को शामिल किया जा सकता है। कॉरपोरेट कल्चर के बढ़ते दखल को देखते हुए ऑफिस में ही जिम सेंटर व एरोबिक केंद्र खोला जा सकता है। इसके साथ ही ऑफिस में जंक फूड अधिक साइट्रिक एसिड वाले खाने के कम प्रयोग की सलाह दी है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ ‘व्यायाम के प्रति लोगों में जागरूकता आई है, लेकिन व्यवस्थित ढंग से किए गए व्यायाम का असर अव्यवस्थित ढंग से किए गए व्यायाम की अपेक्षा अधिक पड़ता है। व्यायाम के संदर्भ में साधारण प्रयोग भी किए जा सकते हैं, जिसमें घरेलू काम जैसे नियमित झाडू-पोछे से कम से कम 7 कैलोरी कम की जा सकती है। व्यायाम की नई गाइडलाइन को स्वास्थ्य मंत्रलय के सहयोग से सभी सरकारी व निजी स्वास्थ्य केन्द्रों पर पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा।’

डॉ. विपिन मिश्र, अध्यक्ष, नेशनल डायबिटिक ओबेसिटी एंड कोलेस्ट्राल फाउंडेशन, (प्रस्तुति : निशि भाट,हिंदु्स्तान,दिल्ली,28.9.2010)

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