दो बीमारियां जिन्हें दिमागी बुखार के नाम से जाना जाता है, मेनिनजाइटिस और एन्सेफ्लाइटिस। मेनिनजाइटिस बैक्टीरिया की वजह से होती है और एन्सेफ्लाइटिस जेई (जैपनीज एन्सेफ्लाइटिस) वायरस के कारण। एन्सेफ्लाइटिस एक तरह का वायरल है जो कई बार जांच के दौरान भी पकड़ में नहीं आता। ऐसे में उसके लक्षणों को देखकर ही बीमारी का अनुमान लगाया जाता है। इसमें मरीज को बुखार, सिर दर्द, उलझन, भूलने, अरुचि, कै आने, भूख न लगना, कमजोरी, गर्दन में अकड़न, बोलने या सुनने में परेशानी होने लगती है। मरीज बेहोश भी हो जाता है। नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर (डॉ़) कामेश्वर प्रसाद कहते हैं, ‘जरूरी नहीं कि ये सारे लक्षण एन्सेफ्लाइटिस के हर मरीज में देखने को मिलें। ज्यादातर मरीजों को उल्टी आने और बॉडी टाइट होने की परेशानी होती है। इस बीमारी से ग्रस्त बच्चों लगातार रोते रहते हैं और उन्हें चुप कराना आसान नहीं होता।’ सावधानियां
डॉ़ प्रसाद के अनुसार एन्सेफ्लाइटिस के कई कारण होते हैं, जिनमें से एक मच्छर का काटना भी है। मच्छर के काटने से खून से होते हुए यह जीवाणु दिमाग तक पहुंचता है और वहां सूजन आ जाती है। यही वजह है कि इसे दिमागी बुखार कहा जाता है। इससे बचने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी होंगी।
- अपने आसपास पानी का जमाव न होने दें।
- ऐसी जगहों से दूर रहें जहां मच्छरों का जमावड़ा हो।
- मच्छरों से बचने के लिए ऑल आउट लिक्विड और अगरबत्ती, मच्छरों से बचाने वाली क्रीम, मच्छरदानी वगैरह का प्रयोग करें।
- कपड़े ऐसे पहनें जो आपकी पूरी बॉडी को ढके रहें, जैसे- पूरी बांह वाली शर्ट और फुल पैंट, ताकि मच्छर काट न सके।
- इसके लिए सरकार की ओर से दी जाने वाली वैक्सिन का लाभ लें।
- ऐसे लोगों से बचें जो पहले से ही इसके शिकार हों। खासकर बच्चों को ऐसे मरीजों से दूर रखें। डॉ. प्रसाद कहते हैं, एन्सेफ्लाइटिस के मरीज ऐसी अवस्था में नहीं होते कि उन्हें खाने-पीने से जुड़ी सावधानियां रखने की सलाह दी जाए। वे कुछ भी खाने की हालत में नहीं होते। इस दौरान उन्हें डॉक्टरों की देखरेख में ही रखा जाना चाहिए ताकि उनकी सारी जरूरतों का अच्छी तरह से ध्यान रखा जा सके। साथ ही, उचित ढंग से उनका इलाज हो सके(सुषमा कुमारी,हिंदुस्तान,दिल्ली,28.9.2010)।
"ऐसा नहीं कहा जा सकता कि आप फलां तरीक़े से स्वस्थ हैं और वो अमुक तरीक़े से। आप या तो स्वस्थ हैं या बीमार । बीमारियां पचास तरह की होती हैं;स्वास्थ्य एक ही प्रकार का होता है"- ओशो
बुधवार, 29 सितंबर 2010
मच्छर दे सकते हैं दिमागी बुखार
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क्या गौहाटी में मजदूरों में कोई बीमारी फैली है । कृपया पता कर बताएं ।
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक पोस्ट। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंदेसिल बयना-नदी में नदी एक सुरसरी और सब डबरे, करण समस्तीपुरी की लेखनी से, “मनोज” पर, पढिए!