हिमाचल प्रदेश में हमीरपुर के डुगघा स्थित साईं अस्पताल में डॉक्टरों ने सकेंडरी एबडोमिनल प्रेगनेंसी केस में सफलता हासिल कर जच्चा और बच्च दोनों की जान बचा ली है। अस्पताल प्रबंधन ने दावा किया है कि डब्ल्यूएचओ की सूची के अनुसार, यह देश का तीसरा और विश्व का 106वां केस है। नादौन उपमंडल के बटराण गांव की वंदना कुमारी ने एक ऐसे शिशु को जन्म दिया है जो जटिल स्थिति में पैदा हुआ। सकेंडरी एबडोमिनल प्रेगनेंसी के बाद मां और बेटी दोनों स्वस्थ्य हैं।
डुगघा स्थित साईं अस्पताल की गायनी विशेषज्ञ डॉ. अनदित्ता ठाकुर और सर्जन डॉ. अभिषेक ठाकुर के बताया कि बच्चेदानी में किसी तरह की बीमारी होने के कारण प्रेगनेंसी बेहद मुश्किल हो जाती है। डॉ. रीता मित्तल ने बताया कि इस स्थिति में बच्चा बच्चेदानी से बाहर आ जाता है। वंदना को क्षयरोग था। गर्भ धारण के तीसरे माह बच्चेदानी कमजोर होने से उससे बच्च बाहर आ गया।
पूरे नौ माह तक बच्चा बिना यूट्रस स्पॉट के बाहर ही पलता रहा। 27 अगस्त को महिला को इस अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां मंगलवार को उसने बेबी को मेजर सर्जरी के बाद जन्म दिया। संस्थान के एमडी डॉ. एसपीएस ठाकुर का कहना है कि ऑपरेशन के समय मां या बच्चे के बचने की संभावना बहुत कम रहती है। प्रति 10 से 25 हजार ऐसे केस देखने में सामने आते हैं। अक्सर ऑपरेशन के समय जहां बच्चे को बचाना मुश्किल होता है वहीं ज्यादा रक्त निकलने से मां की जान को भी खतरा बना रहता है।
"अक्टूबर 2008 को एमसी मेडिकल कॉलेज कस्तूरबा चेन्नई में इस तरह का दूसरा केस सामने आया था। इससे पहले भी भारत के ही एक अस्पताल में ऐसा मामला सामने आया था। विश्व भर में ऐसे जन्म के करीब 106 मामले हुए हैं"-डॉ. अभिषेक ठाकुर, सर्जन, साईं अस्पताल(दैनिक भास्कर,हमीरपुर,1.9.2010)
umda prastuti
जवाब देंहटाएंnice post