प्राचीन काल से ही धार्मिक कार्यों में कर्पूर का उपयोग किया जाता है। इसका सबसे अधिक उपयोग आरती में किया जाता है। देशी घी के दीपक व कर्पूर के देवी-देवताओं की आरती करने की परंपरा रही है। कर्पूर अति सुगंधित पदार्थ है। इसके दहन से वातावरण सुगंधित हो जाता है। वैज्ञानिक शोधों से यह भी ज्ञात हुआ है कि इसकी सुगंध से जीवाणु, विषाणु आदि बीमारी फैलाने वाले जीव नष्ट हो जाते हैं जिससे वातावरण शुद्ध हो जाता है तथा बीमारी होने का भय भी नहीं रहता। यही कारण है कि धार्मिक कर्मकांडों में कर्पूर का विशेष महत्व बताया गया है।
राजधानी दिल्ली सहित देश के कई शहर डेंगू व मलेरिया मच्छरों से निपटने में लगभग नाकाम साबित हो रहे हैं। अभी तक कोई भी ऐसा कारगर उपाय नहीं ढूंढा जा सका है जिससे इन जानलेवा मच्छरों से लोगों को निजात दिलाई जा सके। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय पुरातन पद्धति में पूजा के दौरान कपूर जलाने की परम्परा मच्छरों को भगाने व हवा को शुद्ध करने में काफी प्रभावी साबित हो सकती है। रिपोर्ट कहती है कि कपूर के प्रयोग से घातक बैक्टीरिया, वायरस व मच्छरों को भगाया जा सकता है, क्योंकि जमीन पर पड़ते ही हवा में घुल जाने वाले इस पदार्थ से मच्छरों से पैदा होने वाली विभिन्न बीमारियां भी प्रभावहीन हो जाती हैं। हालांकि कपूर को लंबी अवधि तक नहीं जलाया जा सकता, क्योंकि इससे एलर्जी जैसी समस्या भी पैदा हो सकती है। कपूर मच्छरों से निपटने व पर्यावरण को स्वस्थ रखने के लिए सबसे बेहतर और हानि रहित उपाय है। गौरतलब है कि मोम जैसा दिखने वाला सफेद व पारदर्शी कपूर एक ठोस व सुगंधित पदार्थ है जिसे एशिया में पाए जाने वाले कम्पोर लारेल वृक्ष की लकड़ी से निकाला जाता है। इसे कई चिकित्सकीय कार्यों में भी प्रयोग में लाया जाता है। कई लोग पूजा-पाठ के दौरान भी कपूर जलाते हैं, लेकिन वे इस बात से अनजान हैं कि यह एक प्राकृतिक मच्छर निरोधक भी है। मच्छरों से निपटने के लिए कपूर हालांकि थोड़ा महंगा तरीका हो सकता है लेकिन इससे मिलने वाले परिणाम काफी असरदायक है और इससे किसी तरह का साइड इफेक्ट भी नहीं होता। मच्छरों को भगाने के लिए इसको जलाने की भी जरूरत नहीं पड़ती। एक आयुर्वेद चिकित्सक बताते हैं कि बाजार में मिलने वाली कपूर की टिकिया को किसी भी गर्म सतह पर एक घंटे रखने केबाद इसके प्रभाव देखे जा सकते हैं। यह ठीक उसी तरह से काम करती है जैसे मच्छर भगाने वाले उपकरण में रखी मैट्स काम करती है। चिकित्सक के अनुसार इस प्रक्रिया को दिन में दो बार दोहराना चाहिए। इसके अलावा कपूर की टिकिया को मच्छरों के मनपंसद स्थान यानी कि घरों के विभिन्न कोनों में भी रखने से मच्छरों से मुक्ति मिल सकती है। क्योंकि जमीन पर छोड़ते ही कपूर की टिकिया वाष्पीकृत हो जाती है जिससे पूरी जगह मच्छरों से मुक्त हो जाती है। कपूर को सीधे पानी से भरी टंकी में भी डाला जा सकता है जो अन्य तरीकों की तरह ही प्रभावशाली है क्योंकि जैसे-जैसे पानी का तापमान सामान्य होता है कपूर धीरे-धीरे पानी में घुल जाता है और इसका असर चंद घंटों में दिखने लगता है। हवा की शुद्धता को बनाए रखने में कपूर काफी प्रभावी उपाय है(अमर उजाला,दिल्ली,27.9.2010 में प्रकाशित खबर पर आधारित)।
behatar jankari..........
जवाब देंहटाएंक्या बात याद दिलाई है। घर के अंदर ही आधी बीमारी का ईलाज छुपा हुआ है। अब लगता है ये म्यूजिम में पहुंच जाएंगी अगर हम प्रयोग में नहीं लाएंगे घरेलू नुस्खे।
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