बुधवार, 22 सितंबर 2010

सेक्स और भ्रांतियां

पुरातनकाल से सेक्स जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। सेक्स जीवन की सांस के साथ उस समय से जुड जाता जब व्यक्ति बचपन से युवा उम्र में प्रवेश करता है। यही वह समय है जब व्यक्ति को इस विषय पर सही जानकारी मिलनी चाहिए। सेक्स के बारे में लोगों में अनेक भ्रांतियां बनी हुई हैं। अगर सही ढंग से चिकित्सीय सलाह दी जाए तो सेक्स रोगों में कमी आ सकती है।
परिवर्तन और सेक्स: हाई टेक्नोलोजी के चलते न सिर्फ इंटरनेट और मोबाइलका इस्तेमाल बढा है, बल्कि लोग पहले से ज्यादा एकदूसरे से चैटिंग के जरिए अपने दोस्त विदेशों तक में बना रहे है। इन सब के पीछे उन के दिल में छिपी यौन कामना ही है। लेकिन उन के बेसिक ज्ञान का स्तर लगभग शून्य होता है। जिस की वजह से युवाओं का एक बडा वर्ग घीरे-घीरे मानसिक अवसाद का शिकार होता जा रहा है। पिछले कुछ सालों में मानसिक चिकित्सकों के पास सेक्स के मामलों में काफी वृद्घि हुई है। अधूरी जानकारी : आश्चर्यजनक बात यह है कि लोगों में ही नहीं बल्कि कई डाक्टरों में भी यह भ्रांति है कि जिस पुरूष के अंग का साइज बडा होगा और जिस महिला के ब्रेस्ट बडे होंगे उन्ही के साथ अच्छा सेक्स मिलेगा। यह बात पूरी तरह से गलत है, क्योंकि पुरूष के अंग का टौप ही संवेदनशील होता है और महिलाओं में अंग का बाहरी 1 इंच का हिस्सा ही संवेदनशील होता है। सारी क्रियाएं इसी पर निर्भर होती है। साइज का कोई महत्तव नहीं है। बाजार में मिलने वाली सेक्सवर्घक दवाएं, स्प्रे, इत्यादि किसी प्रकार का इफेक्ट नहीं करतीं और जब इफेक्ट नहीं करती हैं तो साइड इफेक्ट भी नहीं होता। स्वपदोष, घातु, हस्तमैथुन आदि प्रकियाएं स्वाभाविक है, कोई रोग नहीं हैं। दौरा, हिस्टीरिया, डिप्रेशन आदि बीमारियों के लिए सेक्स एक उचित इलाज है। कई बार ऎसा देखा गया है कि यदि महिलाएं सेक्स क्रिया में संतुष्ट नहीं हैं तो अवसाद में घिर जाती हैं। पुरूषों में 68 वर्ष की उम्र तक सेक्स क्रिया में कोई कमी नहीं आती। यदि पति-पत्नी निरंतर क्रिया करते रहे हों तो पुरूषों में प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना बिलकुल कम हो जाती है। कुछ लोगों का मानना है कि शराब सेक्स पावर बढाती है जबकि नशा ब्रेन सेक्स सेंटर को प्रभावित करता है और आप किसी लायक नहीं रह जाते। इलाज आसान हो : व्यक्ति का फैमिली डॉक्टर यदि सेक्स विशेषज्ञ है तो मरीज को कोई परेशानी नहीं होगी परन्तु ऎसा नहीं होने पर मरीज को दरदर भटकना पडेगा। इसी तरह महिलाओं में गर्भ के दौरान, महावारी के दौरान तथा मीनोपाज के बाद सेक्स प्रकिया क्या होनी चाहिए, उस समय शरीर किस तरह सक्रिय होता है, ये सभी जानकारियां यदि मरीज को डॉक्टर्स से आसानी से मिलती रहे तो नीमहकीमों की दुकानें लगभग बंद हो जाएंगी और लोगों में सेक्स के प्रति भ्रांतियों में कमी आयेगी। कम उम्र में सेक्स के अनुभव का प्रयास युवाओं को मानसिक अवसाद की ओर ले जाता है। इससे उन में शीघ्रपतन की समस्या सामने आने लगती है। ऎसी बीमारीयों का इलाज जागरूकता व शिक्षा से ही संभव है। सेक्स लाइफ का एक पार्ट है। आज कई लोग पर्याप्त काउंसलिंग के अभाव में स्वयं को इस लिहाज से समाप्त करते जा रहे है। विशेष् डाक्टर्स को तरजीह दी जाए। आज का युवा वर्ग मानसिक अवसाद में आकर यौन समस्याओं का शिकार हो रहा है। युवाओं की समस्या: 18 से 25 वर्ष तक के अविवाहित वर्ग में सेक्स समस्याएं अघिक होती है। दूसरा वर्ग 40 वर्ष से अघिक उम्र वाले लोगों का होता है। इन में सेक्सुअल प्रौब्लम का मुख्य कारण दूसरी बिमारियां होती है जैसे-उच्चा रक्तचाप, आरामदायक जीवन व्यतीत करना, घ्रूमपान करना आदि। सेक्स की बेसिक जानकारी की आवश्यकता विवाह के उपरांत या जोडे में होने पर होती है। उस समय सामने आने वाली समस्याओं के लिए डाक्टर और एक्सपर्ट जरूरी हैं। स्कूल स्तर पर केवल सुरक्षा और सावघानियों से अवगत कराया जाए तो बेहतर होगा। शहरों में माता-पिता के पास समय का अभाव होता है। जो बच्चा शहर में 8 वीं कक्षा में मैच्योर हो जाता है वही ग्रामीण परिवेश में 10वीं के बाद तक भी इन चिजों से अछूता रहता है। अत: कहीं न कहीं हमारी परवरिश भी बच्चों को भटकाने के लिए जिम्मेदार है(खास ख़बर डॉट कॉम,27 अगस्त,2010)।

4 टिप्‍पणियां:

  1. सेक्स हमारे जीवन का हिस्सा है ....

    बहुत बढ़िया प्रस्तुति .......

    यहाँ भी आये एवं कुछ कहे :-
    समझे गायत्री मन्त्र का सही अर्थ

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  2. आपसे सहमत हूं। बहुत काम की जनकारी प्रस्तुत की है आपने।

    बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!

    देसिल बयना-गयी बात बहू के हाथ, करण समस्तीपुरी की लेखनी से, “मनोज” पर, पढिए!

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  3. अच्छी जानकारी । अभी और बहुत विस्तृत जानकारी की ज़रुरत है ।

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  4. अत्यन्त सरल और सुरुचिपूर्ण भाषा-शैली में आपने उपयोगी जानकारी दी.........

    ऐसे आलेख लगातार आने चाहियें ताकि लोग भ्रांतियों से मुक्त हो सकें
    धन्यवाद !

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