भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) में अब दिमागी बीमारियों के मरीजों को इलाज नहीं मिलेगा। अब यहां न्यूरोलॉजी विभाग में आने वाले मरीजों को इलाज के लिए निजी अस्पतालों में जाना पड़ेगा। इसकी वजह डॉक्टरों की कमी के कारण अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग का बंद होना है।
दिमाग से जुड़ी बीमारियों से ग्रसित गैस पीड़ितों को बीएमएचआरसी में इलाज मिलना बंद हो गया है। यहां 30 बिस्तर का न्यूरोलॉजी वार्ड बनाया गया था, जिसमें अब दूसरी बीमारियों के मरीजों का इलाज किया जा रहा है। वार्ड में मरीजों की देखभाल और उनके इलाज की जिम्मेदारी जूनियर और सीनियर रेसीडेंट डॉक्टरों की है। जो कम वेतनमान और सुविधाओं के कारण दो सप्ताह पहले छोड़कर जा चुके हैं। जिससे यहां वार्ड में भर्ती मरीजों को इलाज मिलना बंद हो गया है।
मिनी यूनिट के डॉक्टर
अस्पताल में सीनियर कंसलटेंट डॉक्टरों के 3, जूनियर रेसीडेंट डॉक्टर के 3 तथा सीनियर रेसीडेंट डॉक्टर के 2 पद स्वीकृत हैं। ये पद फिलहाल खाली हैं। न्यूरोलॉजी विभाग में आने वाले मरीजों को ओपीडी में इलाज के लिए अस्पताल की मिनी यूनिट की न्यूरोफिजिशियन डॉ. कृष्णा जैन की डच्यूटी लगाई गई है। सूत्रों के मुताबिक डॉ. जैन ने भी दो सप्ताह पूर्व ओपीडी में मरीजों को देखना बंद कर दिया है।
नहीं मिल रहा मरीजों को इलाज
बीएमएचआरसी के एनीस्थीसिया विभाग के प्रमुख डॉ.आरके जैन ने बताया डॉक्टरों की कमी के कारण न्यूरोलॉजी विभाग बंद है। डॉ.जैन ने बताया कि विभाग के रिक्त पदों की भर्ती पर केंद्र सरकार ने रोक लगा दी है। इसके चलते न्यूरोलॉजी विभाग में मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा है(दैनिक भास्कर,भोपाल,13.9.2010)।
दुखद घटना .आज न्यूरोलोजी की ज्यादा जरूरत है तो उसी को बंद कर दिया है ,शर्मनाक है ऐसी व्यवस्था ..
जवाब देंहटाएंदुखद।
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