राष्ट्रमंडल खेलों से पहले दिल्ली सरकार शहर में धूम्रपान को लेकर एक सर्वे करा रही है। इसके तहत सेंट स्टीफंस अस्पताल के विशषज्ञ शहर के अस्पतालों, स्कूल-कॉलेजों, रेस्तरां सहित अन्य सार्वजनिक स्थानों पर सिगरेट-बीड़ी पीने वालों का पता लगा रहे हैं।
दिल्ली सरकार ने धूम्रपान को लेकर नया सर्वे, जॉन हापकिंस विश्वविद्यालय की उस ताजा रिपोर्ट के बाद शुरू कराया है जिसमें कहा गया है कि दिल्ली के अस्पतालों व स्कूल कॉलेजों में जमकर धूम्रपान किया जा रहा है। नईदुनिया के पास उपलब्ध इस रिपोर्ट की प्रति के मुताबिक दिल्ली विश्वविद्यालय कैम्पस के तीन कॉलेजों व एक स्कूल में निकोटिन की मौजूदगी का पता लगाने के लिए लगाए गए २३ मॉनिटरों में लगभग ९१ प्रतिशत में निकोटिन पाया गया।
दिल्ली सरकार के विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि वर्ष २००८ में दिल्ली में सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर पाबंदी लगाए जाने के बाद वस्तुस्थिति का पता लगाने के लिए वर्ष २००९ में सरकार ने जॉन हापकिन्स विश्वविद्यालय के सहयोग से राजधानी के अस्पतालों, स्कूल-कॉलेजों, तीन सितारा होटलों व रेस्तरां सहित अन्य स्थानों पर १३८ एयर मॉनिटर लगाए थे।
रिपोर्ट के मुताबिक ३३ इमारतों में रखे गए १११ मॉनिटरों का अध्ययन किया गया। बाकी के २७ मॉनिटरों में से ११ खराब पाए गए तथा १६ में कोई आंकड़ा ही नहीं आ पाया था। होटलों व रेस्तरां में लगाए गए सभी ३३ मॉनिटरों में निकोटिन पाया गया। इसकी मात्रा ०.०१यूजी/एम३ से १.९२यूजी/एम३ तक पाई गई। हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि ब्राजील, कोस्टा रिका, पेरू, चेन्नई व अहमदाबाद शहरों में किए गए ऐसे ही अध्ययन की तुलना में दिल्ली में किए गए अध्ययन में निकोटिन की मात्रा अपेक्षाकृत कम पाई गई। स्कूल-कॉलेजों के मामले में कहा गया कि जहां तक अधिकतम निकोटिन की मात्रा का सवाल है, तो यह दिल्ली मे बाकी शहरों के मुकाबले ज्यादा पाई गई।
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकारी इमारतों तथा दिल्ली सरकार व दिल्ली नगर निगम के अस्पतालों में किए गए अध्ययन में भी निकोटिन की मात्रा पाई गई है। कुछ महीनों पहले आई इस रिपोर्ट से साफ है कि राजधानी में धूम्रपान पर पाबंदी के बावजूद लोग सरेआम धुआं उड़ा रहे हैं। महत्वपूर्ण यह है कि यह पाबंदी उन लोगों को ध्यान में रखकर लगाई गई थी, जो खुद धूम्रपान नहीं करते लेकिन धूम्रपान करने वालों की वजह से निकोटिन के प्रभाव में आ जाते हैं। जाहिर है धूम्रपान करने वालों की संख्या ज्यादा होने से लोगों को दिक्कत हो रही होगी।
दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग में धूम्रपान की रोकथाम के लिए बनाए गए प्रकोष्ठ के प्रमुख डॉ. वशिष्ठ ने इस रिपोर्ट के बारे में पूछने पर कहा कि यह सही है कि सार्वजनिक स्थानों पर निकोटिन की मात्रा पाई गई है। लेकिन उन्होंने दलील दी कि चाहे स्कूल-कॉलेज हों अथवा अस्पताल, कई बार देखा यह गया है कि चौकीदार वगैरह रात के समय में बीड़ी-सिगरेट पीते हैं और मॉनिटर में इन्हीं लोगों द्वारा उड़ाया गया धुआं दर्ज हुआ होगा। डॉ. वशिष्ठ ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग अब शहर में धूम्रपान पर पाबंदी की वास्तविक स्थिति का पता लगाने के लिए सेंट स्टीफंस कॉलेज के कम्युनिटी हेल्थ विभाग के सहयोग से सर्वे करा रहा है। इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट लंग एंड टीबी डिजिज की निगरानी में किए जा रहे इस सर्वे में शहर के तमाम रेस्तराओं, होटलों, स्कूल-कॉलेजों, अस्पतालों आदि में धूम्रपान को लेकर जानकारी जुटाई जा रही है। इसकी रिपोर्ट अगले दस से पन्द्रह दिनों में आ जाने की संभावना है।
दिल्ली में धूम्रपान की पाबंदी के बाद से अक्टूबर २००८ से अगस्त २०१० के बीच १ लाख ३२ हजार, ३०३ सार्वजनिक स्थलों पर छापा मारकर २४ हजार, ६८६ धूम्रपान करने वालों तथा २६२६ वेंडरों से २१ लाख, ९९ हजार, ४४ ヒपए का जुर्माना वसूल चुकी है(अजय पांडेय,नई दुनिया,दिल्ली संस्करण,११.९.२०१०)।
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