अस्पतालों में प्लेटलेट्स की कमी के चलते डेंगू मरीजों की परेशानी बढ़ी
अगर आप ओ-पॉजिटिव रक्तदाता हैं और डेंगू के शिकार अन्य किसी ब्लड ग्रुप के मरीज को रक्त देना चाहते हैं तो यह संभव नहीं है । डेंगू में प्रयोग किए जाने वाली प्लेटलेट्स की जरूरत ने यूनिवर्सल डोनर की धारणा को भी खारिज कर दिया है । ओ-पॉजिटिव रक्तदाता के रक्त का प्रयोग आरबीसी (लाल रक्त कणिकाएं) या फिर प्लाज्मा के लिए अधिक किया जाता है , जबकि प्लेटलेट्स में एंटीजिन और एसडीपीसी की जांच के बाद ही प्लेटलेट्स चढ़ाया जाता है । इसी कारण डेंगू में रक्त देने के लिए आने वाले 60 फीसदी ओ-पॉजिटिव ग्रुप के रक्तदाताओं के रक्त को अयोग्य साबित कर दिया गया है। मैक्स अस्पताल की इंटरनल मेडिसन विभाग की डॉ. सुप्रिया बाली ने बताया कि ओ-पॉजिटिव रक्तदाता के रक्त का प्रयोग अन्य सामान्य बीमारियों के लिए किया जा सकता है । लेकिन डेंगू में खून से प्लेटलेट्स को लिया जाता है , इसलिए खून की अन्य जांच के बाद एसडीपीसी (सिंगल डोनर प्लेटलेट्स काउंट ) को प्रमुख माना गया है । इस संदर्भ में हमेशा ओ-पॉजिटिव रक्तदाता काम नहीं आ पाते। यही कारण है कि डेंगू पॉजिटिव मरीजों के लिए बाजार से प्लेटलेट्स लेना या फिर अन्य डोनर जुटाना प्रमुख समस्या बन रहा है । रोटरी ब्लड बैंक के डॉ. एनके भाटिया कहते हैं कि ओ-पॉजिटिव रक्तदाता के रक्त के प्लाज्मा में ए-एंटीजिन पाया जाता है , यदि मरीज ओ-पॉजिटिव ब्लड ग्रुप का है तो उसे ओ-पॉजिटिव रक्तदाता का प्लेटलेट्स दिया जा सकता है(निशि भाट,हिंदुस्तान,दिल्ली,3.9.2010) ।
यूनिवर्सल डोनर का उपयोग आजकल सामान्यतः नहीं किया जाता । सही यूनिवर्सल डोनर ओ नेगेटिव होता है ।
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