शनिवार, 4 सितंबर 2010

देश की 65 फीसदी दवाइयां बनेंगी हिमाचल प्रदेश में

एशिया के सबसे बड़े फार्मास्यूटिकल हब का तमगा हासिल कर चुके औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन (बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़) के अलावा कालाअंब, पांवटा साहिब और ऊना में बढ़ती फार्मा कंपनियों के बूते प्रदेश आने वाले दो साल में देश की 65 फीसदी दवाइयों का उत्पादन करेगा। प्रदेश में अभी देश की जरूरत की 40 फीसदी दवाइयों का उत्पादन हो रहा है और यहां 346 फार्मा कंपनियां उत्पादन कर रही हैं। देश की कुल 375 अग्रणी फार्मा कंपनियों में से 180 प्रदेश में भी दवाइयां बना रही हैं। हालांकि अभी तक सभी कंपनियों ने पूरी तरह से उत्पादन शुरू नहीं किया है, लेकिन इंडियन फार्मास्यूटिकल एसोसिएशन के अनुसार 2012 तक प्रदेश में देश की आवश्यकता की 65 फीसदी दवाइयां उत्पादित होंगी। प्रदेश के उद्योग मंत्री किशन कपूर ने भी दावा किया है कि वर्तमान के 40 फीसदी के आंकड़े को वह 65 फीसदी तक पहुंचाएंगे। इंडियन फार्मास्यूटिकल एसोसिएशन के अनुसार यह आंकड़ा 70 फीसदी तक भी पहुंच सकता है। अभी प्रदेश के उद्योग से 20 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिला है। इस समय बीबीएन में कुल 168 फार्मा कंपनियां दवा उत्पादन कर रही हैं। इसके अलावा सोलन, परवाणू, कालाअंब, पावंटा साहिब और ऊना में भी दर्जनों फार्मा कंपनियां दवाइयां बना रही हैं। क्यों हुआ ज्यादा निवेश, आगे और संभावनाएं दिल्ली, पंचकूला, चंडीगढ़ जैसे शहरों से निकटता से यहां औद्योगिक विकास तेजी से हुआ है। औद्योगिक पैकेज के कारण यहां ज्यादा निवेश हुआ। औद्योगिक मित्र परिवेश के चलते यहां ज्यादा निवेशक आए हैं। फार्मा कंपनियों के उत्पादन में वृद्धि के पीछे औद्योगिक क्षेत्रों के कई महत्वाकांक्षी परियोजनाओं का पूरा होना माना जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही बद्दी-चंडीगढ़ हाईवे, मोहाली में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, रेल मार्ग का विस्तार और शिमला-चंडीगढ़ नेशनल हाईवे का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। इसके बाद इस क्षेत्र में और औद्योगिक विकास होगा। प्रदेश सरकार ने कुछ समय पहले मुंबई में कार्यशाला के माध्यम से निवेशकों को प्रदेश में आकर्षित करने की योजना बनाई है। 40 हजार करोड़ का सालाना कारोबार प्रदेश में विभिन्न फार्मा औद्योगिक इकाइयां 40 हजार करोड़ रुपए का सालाना कारोबार कर रही हैं, जो देश का 40 फीसदी है। मार्च 2010 में औद्योगिक पैकेज खत्म होने से प्रदेश की अधिकतर कंपनियों ने प्रदेश में दवाई उत्पादन शुरू कर दिया है। यहां मौजूद सभी दवा कंपनियों को पूरी क्षमता से उत्पादन करने में दो साल लग जाएंगे। उद्योग मंत्री किशन कपूर ने बताया कि यहां कई बड़ी कंपनियों ने निवेश किया है। औद्योगिक पैकेज खत्म होने के सरकार निवेशकों को बुलाने में कामयाब रही है(मुकेश शर्मा,दैनिक भास्कर,शिमला,4.9.2010)।

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