बुधवार, 15 सितंबर 2010

पंजाबः30 लाख स्कूली बच्चों को एंटी-एनीमिया गोली दी जाएगी

पंजाब के सरकारी व मान्यता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले करीब 30 लाख बच्चों को खून की कमी दूर करने के लिए 30 करोड़ गोलियां खिलाई जाएंगी। राज्य में नैशनल हैल्थ सर्विस कमीशन की तरफ से करवाए गए सर्वेक्षण में यह तथ्य सामने आए थे कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे एनीमिया के शिकार हैं। इसी रिपोर्ट के आधार पर गत वर्ष राज्य में स्कूली बच्चों को अनीमिया की कमी दूर करने के लिए आयरन फॉलिक एसिड की गोलियां खिलाने का प्रस्ताव रखा गया था। बच्चों को गोलियां खिलाने की जिम्मेदारी स्कूली अध्यापकों को सौंपी गई थी, लेकिन इसी वर्ष फरवरी-मार्च माह में गोलियां खिलाने में की गई कोताही का खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ा था। अधिक गोलियां खाने के कारण कई बच्चों की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में दाखिल करवाना पड़ा। इस बार सेहत विभाग ने अध्यापकों को चेतावनी दी है कि वह अपनी देखरेख में ही बच्चों को यह दवा सप्ताह में दो बार खिलाएं। सेहत विभाग के अनुसार राज्य में तीस लाख के करीब स्कूली बच्चों को आयरन फॉलिक एसिड की यह गोलियां खिलाई जानी हैं। पहली से छठी कक्षा तक में पढ़ने वाले बारह लाख 68 हजार 507 बच्चों को तथा सातवीं से बाहरवीं तक पढ़ने वाले 17 लाख 31 हजार 493 बच्चों को गोलियां खिलाई जाएंगी। साथ ही बच्चों को पेट के कीड़े दूर करने के लिए एलबेंडाजोल की गोलियां भी खिलाईं जानी हैं। यह गोली हरेक बच्चे को वर्ष में दो बार छह-छह माह के अंतराल पर खिलाई जाएगी। सेहत विभाग ने निर्देश जारी किए हैं कि स्कूलों में खिलाए जाने वाले मिड-डे-मील खाने के बाद सप्ताह में दो दिन बच्चों को यह दवा खिलाई जाए। इस बार लापरवाही करने वाले शिक्षकों पर विभागीय गाज गिर सकती है। एक बच्चे को साल में एक सौ गोलियां खिलाई जानी हैं। शिक्षकों को दी ट्रेनिंग सेहत विभाग के डायरैक्टर जेपी सिंह ने कहा कि सत्तर लाख रुपए से विभाग ने तीस करोड़ आयरन फॉलिक एसिड की गोलियां खरीदी हैं। साथ ही 65 लाख एलबैंडाजोल की गोलियां भी खरीदी गई हैं। महानगर में 2.25 लाख स्कूली बच्चों के लिए एक करोड़ आठ लाख गोलियों की सप्लाई आई है। सिविल सर्जन डा. चंदनजीत सिंह कौंडल तथा स्कूल हैल्थ प्रोग्राम की कोआर्डिनेटर की डा. निधि का कहना है कि शिक्षकों को ट्रेनिंग दी गई है कि बच्चों को किस तरीके से यह गोलियां खिलाई जानी हैं ताकि पहले की तरह कोई परेशानी न आए(दीपक भंडारी,दैनिक भास्कर,अमृतसर,15.9.2010)।

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