सोमवार, 16 अगस्त 2010

पाकिस्तानःएक वर्ष में ९ लाख गर्भपात। कौमार्य वापसी का धंधा ज़ोरों पर

पाकिस्तान के समाजशास्त्री चिंतित हैं, क्योंकि पाकिस्तान पूर्वी सभ्यता का देश है। पाकिस्तान का मुख्य धर्म इस्लाम है। इस्लाम पर्दे का समर्थक है । बाहर की दुनिया में जाने के लिए पर्दा अनिवार्य है। इस्लामी साहित्य और उसके प्रचार-प्रसार के लिए यह देश सबसे अग्रणी है। इसके बावजूद वहां महिलाओं में जिस प्रकार से अपराध ब़ढ रहे हैं, यह चिंता का विषय है। पाकिस्तान में भी अन्य देशों की तरह परिवार नियोजन पर जोर दिया जाता रहा है। मौलानाओं के विरोध के बावजूद, पाक सरकार हमेशा इस क्षेत्र में जागरूक रही है। दो दशक से परिवार नियोजन का प्रचार खुल्लम-खुल्ला हो रहा है। इससे पूर्व, पाक सरकार इस कार्यक्रम को किसी भी गैर-सरकारी एजेंसी के माध्यम से चलाया करती थी, लेकिन अब तो वहां परिवार नियोजन वजारते बहबूदे आबादी के नाम से केन्द्र और राज्यों में मंत्रालय चलते हैं। स्त्री और पुरुष के बीच ख़डा एक बालक वाला चित्र अस्पतालों और सार्वजनिक स्थानों पर देखने को मिल जाए तो आश्चर्य नहीं करना चाहिए । पाकिस्तान के अखबारों में जो सरकारी विज्ञापन छपते हैं, उनमें वे फतवे भी प्रकाशित किये जाते हैं, जो विश्व के इस्लामी विद्वानों ने संतति निरोध के संबंध में दिये हैं। छोटे खानदान पर अल्लामा अश्शेखुल सय्यद साबिक मिस्त्री का फतवा एप की प्रसिद्ध पुस्तक फिकतुल सुन्ना में वंशवृद्धि पर बहस करते हुए लिखते हैं कि मुस्लिम उम्मत के ओलेमा का बहुमत संतति नियमन बिना किसी शर्त के जायज मानता है और इसे स्वीकार करता है। अल्लामा अहमद अलबश्री जो अलअजहर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हैं, उनका दिया गया फतवा भी ब़डा प्रसिद्ध है। पाकिस्तान सरकार इसका उपयोग अनेक स्थानों पर करती है। पाकिस्तान की आबादी १७ कऱोड के आसपास पहुंच चुकी है, इसलिए सरकार बहुत चिंतित है। इसका सीधा अर्थ यह हुआ कि पाकिस्तान सरकार धर्म और कानून का सहारा लेकर इस मामले में भरसक प्रयास करती है। इसके बावजूद पाकिस्तान में अवैध गर्भपात हर साल ब़ढ रहे हैं। यही नहीं, पाकिस्तान में जिस तरह से वासना का अवैध व्यवसाय ब़ढ रहा है, वह देश के लिए अत्यंत घातक है। पिछले दिनों इस मामले में पाकिस्तान की कुछ बातें उजागर हुई है, जिसे पढ़कर शर्म महसूस होने लगती है। पाकिस्तान में सेक्स संबंधित दो प्रकार के मामले होते हैं। एक तो वे जो कबाइली क्षेत्र में वर्षों से जारी हैं। जब एक कबीले की ल़डकी दूसरे कबीले में चली जाती है, तो बदला लेने के लिए उस कबीले की महिला के साथ सार्वजनिक तौर पर बलात्कार किया जाता है। कबाइली क्षेत्र में इसे कारोकारी की संज्ञा दी जाती है। कारो का अर्थ होता है, काला पुरुष और कारी यानी काली महिला। इसी प्रकार सिंध के सामंतों में जिन्हें वुडेरा कहा जाता है, वहां ‘वनी’ नाम की कुप्रथा है। ल़डकी को इस्लाम ने पिता की जायदाद में छठे हिस्से का भागीदार बनाया है। वुडेरों के यहां ढेर सारी पत्नियां अथवा तो अवैध महिलाएं होती है,इसलिए ल़डकियों की संख्या में वृद्धि होना एक स्वाभाविक बात है। यदि इन ल़डकियों का विवाह हो, तो उक्त वुडेरे की समस्त सम्पत्ति ल़डकी के हिस्से में चली जाएगी। इस भय से वे ल़डकियों का विवाह कुरान से कर देते हैं। लडकी जीवन भर कुरान पढ़ती और पढ़ाती है। इस प्रकार ल़डकियों का शोषण एक सामान्य बात है। पवित्र कुरान के नाम पर इस प्रकार की हीन हरकतों पर वहां का धार्मिक वर्ग एक शब्द भी नहीं बोलता है और न ही सरकार उस पर प्रतिबंध लगाती है, यह समस्त मुस्लिम जगत के लिए दुःख की बात है। दूसरे प्रकार के अपराध वे हैं, जो समाज के ऊपरी वर्ग में होते हैं। अविवाहित ल़डकी जब समाज और घर की मान मर्यादा को ठोकर मार देती है, तो वह ऐसे नर पिशाचों की बाहों में पहुंच जाती है, जहां उसका कौमार्य लुट जाता है और वह गर्भवती बन जाती है। यहीं से गर्भपात की कहानी शुरू होती है। फैमिली प्लानिंग एसोसियेशन ऑफ पाकिस्तान का कहना है कि इस समय प्रतिवर्ष पाकिस्तान में ९ लाख गर्भपात होते हैं। यह तो केवल जानकारी के मामले हैं। अनचाहे बच्चे रोकने के लिए एक तरफ महिलाएं परिवार नियोजन संबंधी जानकारी नहीं रखतींऔर प्रचलित साधनों का उपयोग नहीं करती हैं, इसलिए वे विवाहित होने के बावजूद गर्भपात के लिए तैयार हो जाती हैं। दूसरे प्रकार के गर्भपात वे महिलाएं करवाती हैं, जो ऊंची सोसायटी से संबंध रखती हैं। नाइट क्लब और अय्याशी के अड्डों पर वे समाज-विरोधी तत्वों के हत्थे च़ढ जाती हैं। इसलिए बदनामी से बचने के लिए उनके पास गर्भपात के अतिरिक्त कोई मार्ग नहीं रह जाता है। गर्भपात के कारण इस तरह की कितनी महिलाएं अपनी जान गंवा बैठती है, इसका आंक़डा मिलना कठिन है। पाकिस्तान के ब़डे नगरों में यह कारोबार ध़डल्ले से चलता है। पाकिस्तान की महिलाएं ही इसके लिए जिम्मेदार हैं, ऐसी बात नहीं हैं। पिछले दिनों विश्व के देशों का एक सर्वेक्षण प्रकाशित हुआ था, जिसका विषय यह था कि दुनिया में सबसे अधिक सेक्स की तलाश किस देश के पुरुष करते हैं। जब पता चला कि इंटरनेट पर सेक्स संबंधी जानकारी प्राप्त करने में पाकिस्तान सबसे अग्रणी देश है। पाकिस्तान के हर चार पुरुष में एक सेक्स की तलाश में भटकता है। यदि इंटरनेट की यह चौंका देने वाली जानकारी आश्चर्यजनक है, तब इस बात को ब़डे विश्वास से कहा जा सकता है कि सेक्स संबंधित अवैध कारोबार का जाना माना अड्डा पाकिस्तान है। जब पुरुष इस हद तक वासना का शिकार रहता है, तो निश्चित ही वहां की महिलाओं पर इसका प्रभाव पड़ना स्वाभाविक बात है । पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने देश की जनता से आह्‌वान किया है कि वे पाकिस्तान की ब़ढती आबादी पर अंकुश लगाएं। लेकिन जब इस्लाम में चार विवाह की छूट है और तलाक भी ब़डी सरलता से हो सकती है, तब जनसंख्या पर कंट्रोल करना बहुत ही कठिन है। मीडिया में जब समाचार प्रसारित होते हैं कि विवाह के पूर्व ही लडकियां शारीरिक संबंध बना लेती हैं, तब तो स्थिति अत्यंत विस्फोटक हो जाती है। इससे भी अधिक चिंता की बात यह कि अपने इस पाप को छिपाने के लिए वे विवाह से पूर्व अपने कौमार्य को प्राप्त करने के लिए वे ऑपरेशन करवा लेती है। पाकिस्तान में हो रही इस प्रकार की गतिविधियों का अनेक अखबारों ने पर्दाफाश किया है। कौमार्य लौटाने संबंधी ऑपरेशन का एक बाजार तैयार हो गया है। जिसमें ऐसा करने वाले डॉक्टर कऱोडों की कमाई कर रहे हैं। समाज में इसे व्यभिचार की संज्ञा दी जा रही है। मुस्लिम समाज में अनेक मर्यादाएं हैं, जिनमें महिलाओं को कठोर अनुशासन में रहने की आज्ञा दी गई है, लेकिन इन दिनों इसी समाज में इस प्रकार की घटनाएं घट रही है, जो एक इस्लामी देश के लिए ही नहीं, वरन मानवीय सभ्यता के नाम पर कलंक है। पाकिस्तान के एक दैनिक ने इस बुर्के के भीतर व्यभिचार की संज्ञा दी है। इन दिनों वहां के अखबारों में इस प्रकार के समाचार प्रकाशित हो रहे हैं, जिन्हे प़ढ कर ऐसा लगता है कि पाकिस्तान पूर्वी सभ्यता का देश है या फिर पश्चिम के पोर्नोग्राफिक आन्दोलन का कोई भाग। पाकिस्तान में विवाह से पूर्व मुस्लिम ल़डकियों के शारीरिक संबंध स्थापित किये जाने की बातें प्रकाश में आ रही है। एक बार ल़डकी का कौमार्य लुट गया और उसकी जानकारी अडोस-प़डोस में फैल गई, तो फिर उससे कौन विवाह करेगा? इसलिए पाकिस्तान में ऐसे डॉक्टरों के बोर्ड लटकते हुए दिखलाई प़डते हैं, जिस पर यह लिखा होता है कि ‘यहां कौमार्य प्राप्त करने के लिए ऑपरेशन किये जाते हैं।' सही तो एक नैसर्गिक बात है, लेकिन आज के मेडिकल विज्ञान के नाम पर कुछ भी हो सकता है। इस प्रकार के डॉक्टर और वैज्ञानिकों की संख्या ब़डे नगरों में ब़ढती जा रही है। जब हम रेल से यात्रा करते हैं, तो स्टेशन आने से पूर्व गुप्त रोग के शर्तिया इलाज के विज्ञापन दीवारों पर पुते और लिखे हुए देखते हैं। पाकिस्तान में इसी प्रकार कौमार्य लौटने का ऑपरेशन करने वाले हकीमों और डॉक्टरों का विज्ञापन देखने को मिलता है। इस्लामाबाद कराची और लाहौर स्टेशनों के बाहर लिखा हुआ प़ढा जा सकता है कि ‘कल को भूल जाइये और अपने कौमार्य को पुनः हासिल करके खुशियों का जीवन बिताइये।' विश्वास पैदा करने के लिए इस प्रकार के विज्ञापनें की भरमार अंग्रेजी अखबारों में रहती है। इस प्रकार की सर्जरी संबंधी ऑपरेशन रियायती दरों पर किये जाते हैं, इस प्रकार का आश्वासन भी दिया जाता है। अब तो इस प्रकार की वेबसाइट की भरमार हो गई है। घर में बैठकर ही सब कुछ मालूम किया जा सकता है। एक वेबसाइट ने ऐसे मामलों की पूछताछ के लिए एक फोन नम्बर (००९२३२३४१९५७३२) भी दिया है। एक वेबसाइट ने ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर के तौर पर, किंग एडवर्ड मेडिकल कॉलेज से प़ढे सरफराज तथा रायल कॉलेज ओबी/ गायनेक्स लंदन की सदस्य यासमीन सरफराज के नाम का उल्लेख किया है। यह यौन क्रांति फिलहाल ऊंचे वर्ग तक ही सीमित है। इसका एकमात्र कारण है इस सर्जरी का खर्चीला होना। डॉक्टरों और गाइनिक की फीस इतनी ऊंची होती है कि मध्यम वर्ग की महिला तो सोच भी नहीं सकती । वेबसाइट पर मिली जानकारी के आधार पर एक ऑपरेशन का खर्च ४०,००० से कम नहीं होता है। क्लीनिक की भरमार सबसे अधिक लाहौर नगर में है। वहां के एक उच्च वर्ग की बस्ती वाले क्षेत्र जौहर टाउन में फारुक नसीम नामक एक डॉक्टर फर्टीलिटी क्लीनिक चलाते हैं। उनका यह दावा है कि वे ३०० से अधिक महिलाओं का कौमार्य लौटाने में सफल हुए हैं। गर्भपात संबंधी क्लीनिक तो पाकिस्तान में कुकरमुत्ते की तरह से फूट निकली है। एक धार्मिक देश में यह सब कुछ चल रहा है, इस शोकांतिका पर हर किसी को दुःख है(स्वतंत्र वार्ता,11.8.2010)।

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