हो सकता है ब्रिटिश डॉक्टर अब इससे खौफ खाने लगे हों, पर इंडियन डॉक्टरों का कहना है - डोंटवरी। यह उन भारतीयों का कुछ नहीं बिगाड़ सकता, जिन्हें दो वक्त की रोटी भी दिन में तारे दिखा देती है। हां, रिच डाइट खाकर आरामतलब जिंदगी गुजार रहे हिंदुस्तानियों के लिए कैल्शियम सप्लिमेंट्स का ज्यादा इस्तेमाल फिक्र की बात हो सकती है।
हाल ही में वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने एक रिसर्च की। इसमें पाया गया कि आमतौर पर ऑस्टियोपोरोसिस के इलाज के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कैल्शियम सप्लिमेंट्स से दिल के दौर का खतरा 30 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। यह एक हद तक स्ट्रोक को भी न्योता दे सकता है। रिसर्च के इन नतीजों को ब्रिटेन की ऑकलैंड यूनिवर्सिटी की एक टीम ने भी 12 हजार लोगों पर परखा और पाया कि बात में दम है। पर मेट्रो हॉस्पिटल के चेयरमैन और जाने माने कार्डियॉलजिस्ट डॉ. पुरुषोत्तम लाल का कहना है कि विदेश में होने वाली किसी भी रिसर्च को मानक बना लेने का कोई मतलब नहीं है। हर देश के लोगों के खानपान, रहन-सहन, शरीर की बनावट और चिंताओं में फर्क होता है। जहां तक कैल्शियम से दिल के दौरे का सवाल है, मैंने अपने करियर में ऐसे कई लोग देखे हैं, जिनकी आर्टरीज कैल्शियम से बुरी तरह भरी हुई थीं और उन्होंने अपने जीवन में कभी कैल्शियम सप्लिमेंट्स का इस्तेमाल नहीं किया। और बहुत से ऐसे लोग भी थे, जो कैल्शियम सप्लिमेंट्स लेते थे और उनकी आर्टरीज में कैल्शियम का जमाव नहीं था।
डॉ. लाल के मुताबिक, आर्टरीज में कैल्शियम का जमाव जिनेटिक कारणों से भी हो सकता है। जिनकी आर्टरीज में कैल्शियम का जमाव होने की प्रवृत्ति होती है, उनके बच्चों में भी इसकी काफी आशंका रहती है। वह कहते हैं कि फिर भी कैल्शियम सप्लिमेंट्स लेने से पहले जरूरी टेस्ट करा लें और डॉक्टर की सलाह से ही इन्हें लें।
ईएसआई दिल्ली के पीजी इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च के डीन एवं डिपार्टमेंट ऑफ ऑथोर्पेडिक्स के प्रमुख डॉ. सुधीर कपूर का कहना है कि भारत की बहुत बड़ी आबादी कैल्शियम की कमी का शिकार है। कैल्शियम हमारे लिए खतरा नहीं, हमारी जरूरत है।
ऑस्टियोपोरोसिस से बचने के लिए मीनोपॉज के बाद महिलाओं को भी कैल्शियम सप्लिमेंट्स लेने की सलाह दी जाती है। रॉकलैंड अस्पताल के गायनेकॉलजी डिपार्टमेंट की हेड डॉ. आशा शर्मा कहती हैं कि मीनोपॉज के बाद महिलाओं को अमूमन जिंदगी भर कैल्शियम सप्लिमेंट्स लेने पड़ते हैं। इसका कारण यह है कि मीनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन हॉर्मोन का बनना कम हो जाता है, जिससे मेटाबॉलिजम पर असर पड़ता है और शरीर में कैल्शियम की कमी हो जाती है।
मीनोपॉज के बाद दिन में 500 से 10000 एमजी तक कैल्शियम देना जरूरी हो जाता है। डॉ. शर्मा के मुताबिक जिन लोगों को पथरी की शिकायत हो, उन्हें कार्बोनेट युक्त कैल्शियम सप्लिमेंट्स से बचना चाहिए। इंडियन मेडिकल असोसिएशन के जॉइंट सेक्रेटरी डॉ. अनिल बंसल का कहना है कि सरकार को सेहत से जुड़े मुद्दों पर संजीदगी से रिसर्च करानी चाहिए, ताकि देश की परिस्थितियों के हिसाब से किसी भी चीज के असर की जांच की जा सके और लोग भ्रमित न हों(दैनिक नवज्योति,16.8.2010)।
आभार इस आलेख का.
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