यह आवश्यक है कि आपके प्रतिदिन के खाने में अलग-अलग रंगों के फल एवं सब्जियां शामिल हों। फलों और सब्जियों से विभिन्न प्रकार के विटामिन, मिनरल्स और फाइटोकैमिकल्स प्राप्त होते हैं। इससे आपके शरीर को बीमारियों से बचाव के लिए आवश्यक ऊर्जा प्राप्त होती हैं, साथ ही आयु वृद्धि का प्रकोप कम करता है। बीमारियों की रोकथाम में तो मदद मिलती ही है। जैसे कि उच्च रक्तचाप, हृदय रोग आदि में ये मदद करते हैं। फलों और सब्जियों में पोटैशियम की अधिक मात्र होने से उच्च ब्लड प्रैशर और गुर्दे में पथरी होने से बचा जा सकता है। साथ ही ये हड्डियों का क्षय को भी रुकता है। ताजा फलों और सब्जियों में पाए जाने वाले एंटीआक्सीडेंट्स कई आवश्यक तत्वों, फाइबर, खनिज-लवण, विटामिनों और अन्य लाभदायक तत्वों को किसी भी गोली के माध्यम से प्राप्त नहीं किया जा सकता है। - फलों की तुलना किसी अन्य भोज्य पदार्थ से नहीं की जा सकती। इसमें कई ऐसे जादुई तत्वों और एंटीआक्सीडेंट्स का मिश्रण पाया जाता है जिनकी खोज होना अभी भी बाकी है। फलों के अन्य लाभ: भोजन में पोटैशियम की पूर्ति फलों और सब्जियों के माध्यम से ही होती है, पोटैशियम की शारीरिक ऊर्जा उपापचय में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसकी कमी होने से मांसपेशियों में कमजोरी और कई मानसिक विषमताएं हो जाती हैं। और ये बात हृदय की कार्यक्षमता में दिखाई देती है। - टिटोफन एक आवश्यक एमिनो एसिड है जो फलों और सब्जियों में पाया जाता है। कई प्रकार के ट्रेस एलिमेन्ट्स और अकार्बनिक तत्वों की शरीर के एन्जाइम तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका होती है, जिससे शरीर की प्रोटीन और हार्मोन संरचना बनी रहती है। - कई प्रकार के खनिज लवण और अन्य सूक्ष्मात्रिक तत्व फलों और सब्जियों में पाए जाते हैं जिनको अलग-अलग प्रकार के भोज्य पदार्थो के तौर पर भोजन में शामिल करने की आदर्श स्वास्थ्य सलाह दी जाती है, इसलिए अच्छे स्वास्थ्य के लिए खाने में सभी आवश्यक तत्वों का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए। डायट्री फाइबर, पौधों से प्राप्त होने वाले काम्पलैक्स काबरेहाइड्रेट होते हैं, इनका पाचन, भोजन नली में पाए जाने वाले एन्जाइम की सहायता से नहीं होता है, जिससे ये बड़ी आंत में चले जाते हैं, नवजात बच्चों को डायट्री फाइबर नहीं देना चाहिए। बच्चों को फलों, सब्जियों और खाद्यान्नों को पूरी सावधानी से धीरे-धीरे देना चाहिए, वो भी छह माह आयु के बाद(हिंदुस्तान,दिल्ली,15.8.2010)।
"ऐसा नहीं कहा जा सकता कि आप फलां तरीक़े से स्वस्थ हैं और वो अमुक तरीक़े से। आप या तो स्वस्थ हैं या बीमार । बीमारियां पचास तरह की होती हैं;स्वास्थ्य एक ही प्रकार का होता है"- ओशो
सोमवार, 16 अगस्त 2010
फल खाएं
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यहां भी वही सवाल..दो वक्त की रोटी के लाले तो फल कहां से आएंगे....
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