पीएमसीएच के आर्थोपेडिक विभाग के तत्वाधान में रीढ़ की हड्डी पर चोट के इलाज पर चल रही कार्यशाला के दूसरे दिन बिना चीर-फाड़ के सर्जरी की विधा पर प्रकाश डाला गया। बेसिक्स आफ स्पाइन-2010 विषय पर आयोजित इस कार्यशाला का उद्देश्य रीढ़ की हड्डी के अंतरराष्ट्रीय स्तर के इलाज का स्नातकोत्तर छात्रों को ज्ञान कराना है। इस अवसर पर दो सर्जरी कर उनका सजीव प्रसारण छात्रों को दिखाया गया। इसमें देशभर के स्पाइनल कार्ड इंज्युरी के विशेषज्ञ चिकित्सकों के साथ झारखंड, उड़ीसा, कोलकाता एवं उत्तर प्रदेश के छात्र- चिकित्सक सम्मिलित हुए। प्रो.डा. कैप्टन डीके सिन्हा ने पटना मेडिकल कालेज माडल का उल्लेख करते हुए बताया कि पीएमसीएच प्रदेश का इकलौता ऐसा मेडिकल कालेज है जहां स्पाइनल कार्ड इलाज के लिए अलग से वार्ड है। 1990 से प्रतिदिन एक से दो लोगों की यहां सर्जरी की जाती है। यदि सरकार उपकरण व खाली पड़े चिकित्सकों के पद भर दे तो रीढ़ की हड्डी की चोट की बिना चीर-फाड़ के सर्जरी (इंडोस्कोपिक सर्जरी)कर पटना मेडिकल कालेज के सम्मान को देश में और ऊंचा उठाया जा सकता है। इस आपरेशन में एक पतले ट्यूब के माध्यम से हड्डी का विष निकाला जाता है। इसमें रोगी को बेहोश न करके केवल शून्य किया जाता है। इसमें रोगी शाम तक अपने घर जा सकता है। यदि उपकरण मिले तो लोगों को दिल्ली जैसे शहरों का रुख नहीं करना होगा। स्पाइनल केयर के पटना माडल की सराहना डब्ल्यूएचओ भी कर चुका है। डा. भरत सिंह ने बताया कि रीढ़ की हड्डी का इलाज अभी तक प्रदेश में उपेक्षित पड़ा है। इस कार्यशाला के दौरान छात्रों को रीढ़ की हड्डी समेत टीबी, स्पांडोलिथिसिस, हड्डी के आगे खिसकने, डिस्क सर्जरी, लकवा आदि पर विशेष रूप से चर्चा की गई। डा.मनोज शर्मा व डा. दिलीप कुमार सिन्हा ने एक-एक मरीज की सर्जरी कर छात्रों एवं चिकित्सकों को बारीकी से अवगत कराया(दैनिक जागरण,पटना,23.8.2010)।
बहुत अच्छी जानकारी दी आपने।
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