हड्डियां मजबूत करने वाले विटामिन-डी का इस्तेमाल अब दिल को मजबूत करने के लिए भी करना होगा। इंडियन सोसाइटी फॉर बोन एंड मिनरल रिसर्च के शोध के अनुसार, विटामिन-डी की शरीर में लगातार कमी हार्ट अटैक के खतरे को दोगुना कर देती है । यही नहीं, मधुमेह की समस्या से लंबे समय से जूझ रहे मरीजों में भी विटामिन-डी की कमी पाई गई । क्लीनिकल सर्वेक्षण में देखा गया कि शहरी क्षेत्र के भारतीय रोजाना केवल 7 से 8 नैनोग्राम विटामिन-डी ले पाते हैं, जबकि इसका नियमित सेवन 30 नैनोग्राम तक बताया गया है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में बोन एंड मिनिरल पर आयोजित दो दिवसीय सेमिनार में उपस्थित इंडियन सोसाइटी ऑफ बोन एंड मिनिरल रिसर्च के सलाहकार डॉ. अंबरिश मित्तल ने बताया कि शोध के दौरान पाया गया कि मधुमेह और हार्ट अटैक के 40 प्रतिशत मरीज ऐसे हैं जिनमें विटामिन-डी की मात्रा सामान्य से कम पाई गई। दरअसल विटामिन-डी में उपस्थित रिसेप्टर हृदय की धमनियों व पैंक्रियाज के लिए बाइंडिंग का काम करते हैं। लगातार विटामिन-डी की कमी रक्त सेल्स की बाइंडिंग को प्रभावहीन कर देती है, जिससे आसानी से दिल की धमनियों के रक्तप्रवाह में अवरोध उत्पन्न हो जाता है । एम्स के इंडोक्रायनोलॉजिस्ट डॉ. विपिन मिश्रा ने बताया कि कैल्शियम व इंसुलिन मिलकर ग्लूकोज के मेटॉबल्जिम को नियंत्रित करते हैं जिसकी लगातार कमी ग्लूकोज की मात्रा को अनियंत्रित कर देती है। डॉ. मिश्रा कहते हैं कि अध्ययन में 80 प्रतिशत भारतीयों में विटामिन डी की कमी पाई गई, ये वे शहरी लोग हैं जो धूप की रोशनी से दूर हैं (हिंदुस्तान,दिल्ली,17.8.2010)।
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