बुधवार, 25 अगस्त 2010

प्रोटीन

सौरभ कपूर की सुगठित मांसपेशियों का शरीर बनाने इच्छा को तब खासा बल मिला था जब एक वर्ष पूर्व उनके जिम इन्स्ट्रक्टर ने उन्हें ‘प्रोटीन शेक्स’ से रूबरू कराया था। नई दिल्ली के 28 वर्षीय आईटी मैनेजर को मांसपेशियां विकसित करती दिखीं और एक महीने में उनका वजन दो किलो बढ़ भी गया था। उन्होंने अमेरिकी कंपनी द्वारा निर्मित उन प्रोटीन तत्वों को अपनी रोजाना की खुराक का हिस्सा बना लिया था।

लेकिन समस्या तब शुरू हुई जब कपूर तीन माह का प्रशिक्षण लेने कुआलालम्पुर गए और उस दौरान उनका जिम जाना छूट गया। वह बताते हैं, ‘मैंने सोचा था कि मैं रोजाना प्रोटीन शेक लिया करूंगा, लेकिन वह भारी भूल थी।’

वापस लौटने तक कपूर की मांसपेशियां आकार बदलने लगीं, वसा शरीर में बढ़ने लगी और उन्हें सारे दिन थकान महसूस होती थी। टेस्ट से पता चला कि उनके शरीर में ब्लड यूरिया नाइट्रोजन (बीयूएन) असामान्य तौर पर मौजूद है, जिसका कारण प्रोटीन का अधिकाधिक सेवन था। कपूर कहते हैं, ‘मैं दिन में तीन बार मीट और अंडा भी खा रहा था।’ कई माह तक नपे-तुले खानपान और सावधानीपूर्वक किए गए व्यायाम के बाद ही इस नुकसान की भरपाई हो सकी।

कुछ वर्ष पूर्व तक देश में प्रोटीन सप्लीमेंट्स दुर्लभ थे, लेकिन अब बड़े शहरों में यह जहां-तहां दुकानों पर बिकते दिखाई देते हैं। नई दिल्ली के मैक्स अस्पताल की डायटेटिक्स प्रमुख ऋतिका सामदार कहती हैं, ‘कई दशकों से ऐसे सप्लीमेंटेशन पेशेवर एथलीटों की खुराक का हिस्सा रहे हैं। लेकिन अब जिम में व्यायाम करने वाले कई लोग इनका इस्तेमाल करने लगे हैं।’

नए भारतीय एथलीटों के साथ काम करने वाले मित्तल चैंपियंस ट्रस्ट के एथलेटिक परफॉर्मेस के दक्षिण अफ्रीकी निदेशक हीथ मैथ्यूज कहते हैं कि खिलाड़ियों के लिए सप्लीमेंटेशन बिल्कुल जरूरी है। वह कहते हैं, ‘भारी व्यायाम के बाद, चाहे वह स्ट्रेंथ ट्रेनिंग हो या कार्डियो, शरीर को थके और क्षरित हुए मसल्स की मरम्मत के लिए प्रोटीन चाहिए होता है। प्रोटीन शेक मसल गेन करने के लिए सबसे जरूरी तत्व साबित होता है। शरीर में गया प्रोटीन आपके जागने के तुरंत बाद या वर्कआउट के बाद के 45 मिनट ठीक से क्रिया करता है। और इस दौरान किसी भी व्यक्ति के लिए जरूरी मात्र में आहार ले सकता संभव नहीं होता, इसलिए एक गिलास प्रोटीन शेक सर्वश्रेष्ठ रहता है।’

एक ओर जहां पेशेवर एथलीट की खुराक पर विशेषज्ञ नजर रहती है, वहीं दूसरी ओर रोज जिम जाने वाले बिना किसी सलाह के प्रोटीन सप्लीमेंट्स लेते हैं। समादार के अनुसार, ‘इसमें शक नहीं कि प्रोटीन सप्लीमेंट्स फिटनेस लैवल बढ़ाने और कमजोर मसल्स को दुरुस्त करने का काम करते हैं। लेकिन हरेक व्यक्ति की जरूरतें भिन्न आधार पर अलग-अलग होती हैं, जिनमें शरीर की पाचन क्षमता और साधारण खुराक से प्राप्त होने वाले प्रोटीन की मात्र भी होती है। यदि आपका सप्लीमेंटेशन ठीक से नपा-तुला नहीं है तो इसके फायदे के बजाय नुकसान अधिक होंगे।’

अमेरिकी फूड एवं न्यूट्रीशियन बोर्ड के अनुसार प्रतिदिन 0.8ग्राम (प्रति किलो शरीर वजन) और मसल मास बढ़ाने और सख्त व्यायाम करने वालों के लिए यह संख्या दोगुनी हो सकती है। इस संख्या से अधिक प्रोटीन गुर्दो पर अतिरिक्त बोझ डालता है।

सामदार के मुताबिक, ‘प्रोटीन सप्लीमेंट्स लेने वाले हर व्यक्ति को व्यायाम के दौरान खर्च प्रोटीन के हिसाब से इन्हें लेना चाहिए।’ एक अतिरिक्त समस्या यह है कि बाजार में फर्जी प्रोटीन भी चल रहे हैं। सामदार के अनुसार गत दो वर्षो से फर्जी प्रोटीन के शिकार कई मरीज उनके पास आए हैं।

नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ ऑर्थोपेडिक सलाहकार यश गुलाटी कहते हैं कि लगातार जिम जाने वालों के लिए पौष्टिक खुराक जरूरी होती है। डॉ. गुलाटी इस वर्ष के राष्ट्रमंडल खेलों की मेडिकल कमेटी में भी हैं। वह कहते हैं कि खानपान में लापरवाह लोग अक्सर खुराक की पूर्ति प्रोटीन शेक्स से करते हैं। उनके अनुसार यह चलन खतरनाक है।

वह कहते हैं, ‘एक प्रोटीन सप्लीमेंट एक बैलेंस्ड डाइट का विकल्प नहीं हो सकता। और जो लोग इसका गलत इस्तेमाल करते हैं, उनमें जरूरी फैट, विटामिन और मिनरल्स की कमी होती है।’ वह बताते हैं कि जिम ट्रेनर्स निजी फायदे के लिए असुरक्षित ब्रांड की सिफारिश अपने ग्राहकों से करते हैं जिससे तमाम तरह की समस्याएं उपजती हैं, जिनमें ब्लड टॉक्सिटी, गुर्दे और जिगर की कार्यप्रणाली बिगड़ना, और व्यवहारगत परिवर्तन भी इसमें शामिल होते हैं। मैथ्यूज के अनुसार, ‘अनुभवी न्यूट्रीशियनिस्ट द्वारा बताया गया ब्रांड ही खरीदें और ध्यान रखें कि आपके प्रोटीन ग्रहण और व्यायाम में संतुलन बना रहे।’(रुद्रनील सेन गुप्ता,हिंदुस्तान,24.8.2010)

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