बुधवार, 25 अगस्त 2010

बिहार और यूपीः आठ माह में पोलियो के केवल 6 नये मामले

बिहार एवं उत्तर प्रदेश में पहली बार गत आठ माह से (नवंबर 2009) पोलियो वायरस टाइप वन का एक भी मामला प्रकाश में नहीं आया है। इससे पोलियो के इस सबसे खतरनाक वायरस को देश से समूल नष्ट करने का मौका मिला है। जनवरी 2009 से प्रदेश में पोलियो के टाइप थ्री का कोई केस नहीं मिला। स्वास्थ्य विभाग इस मौके का फायदा उठाने के लिए सेरोलाजिकल सर्वे कराने जा रहा है। इससे दवा की प्रभावशीलता तथा उपयुक्त पोलियो वैक्सीन के उपयोग की योजना तैयार करने में सहायता मिलेगी। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव सीके मिश्र ने बताया कि पोलियो उन्मूलन की दिशा में प्राप्त प्रगति को बरकरार रखने एवं बिहार व उत्तर प्रदेश से इसके अतिशीघ्र समूल विनाश के लिए अतिसंवेदनशील 10-10 प्रखंडों में एक सेरोलाजिकल स्टडी की जा रही है। इसका उद्देश्य इस वर्ष से पोलियो अभियान में प्रयोग की गई नई वैक्सीन बीओपीवी (बाइवैलेंट ओरल पोलियो वैक्सीन) के प्रति बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता के विकास की जांच करना है। बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार ने बताया कि पोलियो के मामलों में आई कमी से लगता है कि बीओपीवी काफी प्रभावी है। गत वर्ष अब तक पोलियो के 58 मामलों की तुलना में इस वर्ष केवल 6 केस आये हैं। जबकि 2008 में इनकी संख्या 220 थी। बिहार में 2010 में एक भी मामला नहीं पाया गया है। प्रदेश के सहरसा, दरभंगा, मधेपुरा, पटना, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर एवं बेगूसराय के अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में एंटेरोवायरस अनुसंधान सेंटर, मुंबई के निदेशक डा. जगदीश एम. देशपांडे तथा डब्ल्यूएचओ के राष्ट्रीय पोलियो सर्वेलेंस प्रोजेक्ट के डा. हामिद जाफरी अध्ययन कर रहे हैं। इसमें इन जगहों के 600 बच्चों को शामिल किया गया है। उल्लेखनीय है कि बीओपीवी पोलियो के दो प्रकार पी 1 व पी 3 से सुरक्षा प्रदान करता है(दैनिक जागरण,पटना,25.8.2010)।

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