उत्तर प्रदेश में स्वाइन फ्लू से होने वाली मौतें थमने का नाम नहीं ले रही है । पिछले एक माह में चार लोगों की मौत स्वाइन फ्लू से हो चुकी है । जबकि छह दर्जन से अधिक मरीज ग्रसित चुके हैं । बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग ने स्वाइन फ्लू से निपटने की तैयारी नहीं की है । विभाग ने अपने उस उच्चस्तरीय आदेशों को किनारे कर दिया है, जिसमें स्वाइन फ्लू की जांच के लिए प्रदेश में दो बायो सेफ्टी पी-३ लैब और सभी मेडिकल कालेजों में पी-२ लैब स्थापित किया जाना था । इसके साथ सभी जिला अस्पतालों में वेंटिलेटर की सुविधा उपलब्ध कराना और वेंटिलेटर युक्त निजी अस्पतालों को जो़ड़ना भी शामिल था ।
गौरतलब है कि स्वाइन फ्लू की गंभीरता को देखते हुए पिछले वर्ष नौ अगस्त को प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री अनंत कुमार मिश्र, चिकित्सा शिक्षा मंत्री लालजी वर्मा और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कम्यूनिकेबल डिजीज (एनआईसीडी) दिल्ली की केंद्रीय टीम से बैठ हुई थी । बैठक में छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय में एक महीने के अंदर एच-१ एन-१ टेस्टिंग पी-३ लैब और सभी मेडिकल कालेजों में पी-२ लैब बनाने का निर्णय लिया गया था । लेकिन एक साल बाद भी कोई काम नहीं हुआ । यही नहीं, एसजीपीजीआई के पुराने पी-२ लैब को उपग्रेड कर नया बायो सेफ्टी पी-३ लैब बनाने का फैसला भी बैठक में हुआ था । दोनों ही लैब के लिए सा़ढ़े पांच-पांच करो़ड़ रुपए भी जारी कर दिए गए थे । एक साल बाद भी इस पर काम नहीं शुरू हुआ है ।
स्वाइन फ्लू की दवा टेमी फ्लू को निजी मेडिकल स्टोरों से बेचने के लिए १८ मेडिकल स्टोर चिन्हित किए गए । लेकिन इनको भी दवा बेचने का अधिकार नहीं मिला । सभी जिला अस्पतालों में वेंटीलेंटर की सुविधा उपलब्ध करानी थी । पर लखनऊ के अलावा प्रदेश में कहीं भी वेंटीलेटर की सुविधा मौजूद नहीं है । वेंटीलेटर के लिए निजी अस्पतालों को जो़ड़ने की योजना थी । लेकिन विभाग इसको भी पूरा नहीं कर पाया है (नई दुनिया,दिल्ली,17.8.2010)।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
एक से अधिक ब्लॉगों के स्वामी कृपया अपनी नई पोस्ट का लिंक छोड़ें।