नेशनल रुरल हेल्थ मिशन के तहत ग्रामीण सेहत केंद्रों में घटिया स्तर की दवाइयां वितरित की जा रही हैं। जालंधर जिले के सेहत केंद्रों पर पिछले महीने गर्भवती महिलाओं और युवकों में हिमोग्लोबिन (एचबी) बढ़ाने के लिए लाखों की संख्या में फोलिफर नाम की गोलियां भेजी गई हैं।
ये गोलियां रैपर (कवर) से निकालते वक्त ही पूरी तरह टूट जाती हैं। फोलिफर के एक रैपर में 10 गोलियां है। जब इन गोलियों को रैपर से बाहर निकाला जाता है, तो इनका पाउडर बन जाता है। ऐसे में इन गोलियों को खाना मुश्किल हो जाता है। साथ ही सेहत के लिए खतरनाक भी साबित हो सकता है।
सेहत केंद्रों से दवा लेने वाले लोग अब इसे वापस कर रहे हैं। जिले के सेहत केंद्रों पर तैनात डाक्टर भी जिला परिषद के उच्च अधिकारियों को हिमोग्लोबिन की इन गोलियों की घटिया क्वालिटी के बारे में अवगत करवा चुके हैं।
डाक्टरों का कहना है कि सेहत केंद्रों पर सप्लाई की गई इन गोलियों को उनसे वापस लिया जाए और इनकी जगह पर अच्छी क्वालिटी की दवा सप्लाई की जाए, जबकि अधिकारी सप्लाई की जा चुकी इन दवाइयों को वापस नहीं लेना चाहते। वे डाक्टरों को इन दवाइयों की खपत करवाने को कह रहे हैं, लेकिन घटिया क्वालिटी के कारण ये दवाइयां सेहत केंद्रों में ही पड़ी हुई हैं।
गर्भवती महिलाओं को भी हिमोग्लोबिन की दवा नहीं मिल रही हैं। इस तरह ही स्कूल हेल्थ प्रोग्राम भी प्रभावित हो रहे हैं। स्कूल हेल्थ प्रोग्राम में भी डाक्टर बच्चों को ये गोलियां देते हैं, ताकि उनका एचबी ठीक रहे।
जिले में ही संख्या लाखों में : जिले में ग्रामीण सेहत केंद्रों पर 92 डाक्टर तैनात हैं। सिटी भास्कर को मिली जानकारी के मुताबिक एक डाक्टर को औसतन १क् हजार गोलियां दी गई हैं। कई ऐसे भी डाक्टर हैं, जिन्हें ये 30 हजार तक सप्लाई की गई हैं। इस तरह अकेले जिले में ही 10 से 15 लाख तक एचबी गोलियां सप्लाई की गई हैं।
हो सकता है नुकसान भी
डाक्टरों के मुताबिक एचबी की गोलियां शुगर कोटेड होनी चाहिए। टूटी हुई गोली या इसे पाउडर के रूप में देंगे, तो ये खासकर युवाओं के मुंह में एकदम डिजॉल्व हो जाएगी। इससे लाभ तो होगा नहीं, बल्कि नुकसान हो जाएगा। एचबी की गोली से गैस और उल्टी की समस्या पैदा होती है, लेकिन अगर ये धीरे-धीरे डिजॉल्व हो तो इस समस्या के पैदा होने के आसार कम रहते हैं। टूटी गोली या पाउडर देने से एकदम से अपना प्रभाव छोड़ेगी और इससे युवाओं को उल्टी और गैस की समस्या आएगी।
जाली भरा जाएगा रिकॉर्ड
फार्मासिस्ट इन दवाओं को वापस करना चाहते हैं, लेकिन उच्चधिकारी इन्हें लौटाने को तैयार नहीं हैं। फार्मासिस्टों के मुताबिक अधिकारी उन्हें इन दवाइयों की खपत करने के लिए कह रहे हैं, जबकि लोग इन्हें लेने के लिए तैयार नहीं है। इनकी खपत नहीं करवाई गई तो ये एक्सपायर हो जाएगी। इसलिए ये दवाएं यदि वापस नहीं ली जाती तो फार्मासिस्ट के सामने एक ही विकल्प रह जाता है कि इन्हें लोगों के जाली रिकॉर्ड में डाला जाए।
पहले भी सामने आ चुके हैं मामले
ग्रामीण सेहत केंद्रों में घटिया स्तर की दवाएं सप्लाई करने का यह पहला मामला नहीं है। करीब एक साल पहले इस तरह ही विटामिन-सी कांप्लेक्स की गोलियां सेहत केंद्रों पर सप्लाई की गई थी। हर केंद्र को तीन हजार गोलियां दी गई थी। इनकी क्वालिटी भी घटिया होने के कारण ये सप्लाई नहीं की जा सकी थी(बलविंदर कुमार,दैनिक भास्कर,जालंधर,18.8.2010)।
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