सोमवार, 2 अगस्त 2010

आसानी से मेडिकल स्टोर पर मिल जाती है ऑक्सीटोसिन

सब्जियों और फलों को पकाने में खूब इस्तेमाल किया जाने वाला हारमोन, ऑक्सीटोसिन तत्काल भले ही नुकसान न पहुंचाता हो, लेकिन इसके दूरगामी घातक परिणाम संभव हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने यह चेतावनी दी है। ऑक्सीटोसिन को स्वास्थ्य मंत्रालय भी सेहत के लिए हानिकारक बता चुका है। लेकिन किसानों और सब्जी-फल विक्रेताओं द्वारा इसका इस्तेमाल रुक नहीं रहा। स्वास्थ्य विशेषज्ञों और चिकित्सकों के अनुसार किसी भी सब्जी या फल को जांच कर पता लगा पाना कठिन है कि उसे ऑक्सीटोसिन द्वारा पकाया गया है। एम्स की पूर्व आहार विशेषज्ञ डॉ. रेखा शर्मा के अनुसार, आम आदमी यह बात कैसे जांच सकता है? यद्यपि हमारे पास ऐसा कोई मामला अभी नहीं आया है, जिसमें कोई व्यक्ति ऑक्सीटोसिन से पके सब्जी या फल से प्रभावित हुआ हो। इससे साफ है कि इसके दूरगामी परिणाम होंगे। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि देश में कोई कानून नहीं है, जो ऑक्सीटोसिन से सब्जी-फल पकाने वालों को सजा देता हो। वहीं इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के डॉ. वी.एम. काटोच कहते हैं, ऑक्सीटोसिन का इस्तेमाल 1992 से प्रकाश में आया है। इसे पहले पौधों को विकसित करने के काम में लाया जाता था। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने पिछले सप्ताह स्वास्थ्य सचिव सुजाता राव को पत्र लिख कर स्वास्थ्य मंत्रालय से ऑक्सीटोसिन का इस्तेमाल तत्काल रुकवाने की अपील की है। स्थानीय स्तर पर ऑक्सीटोसिन को पानी या दवाई कहा जाता है। यह शेड्यूल एच हारमोन है, जिसे किसी विशेष परिस्थिति में डॉक्टर की पर्ची के बगैर नहीं खरीदा जा सकता। लेकिन देश के मेडिकल स्टोरों में यह आसानी से उपलब्ध है और सस्ता भी है। इस हारमोन का जानवरों पर इस्तेमाल भी देश में प्रतिबंधित है, लेकिन इसका धड़ल्ले से प्रयोग किया जा रहा है(दैनिक जागरण,लखनऊ,2.8.2010)।

1 टिप्पणी:

एक से अधिक ब्लॉगों के स्वामी कृपया अपनी नई पोस्ट का लिंक छोड़ें।