रविवार, 29 अगस्त 2010

लेजर से ठीक हो सकता है गले का कैंसर

टाटा मेमोरियल कैंसर हॉस्पिटल, मुम्बई में कान-नाक-गला विभाग के प्रमुख डा. एके डिक्रूज का कहना है कि गले के कैंसर के इलाज में लेजर तकनीक कारगर है। इससे स्टेज एक और दो तक के कैंसर को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। डा. डिक्रूज लखनऊ कैंसर इंस्टीट्यूट के तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला बतौर मुख्य विशेषज्ञ उपस्थित थे। उन्होंने बताया कि गले का कैंसर तीन जगहों पर होता है। मुंह में, मुंह के पीछे और स्वर यंत्र (आवाज की पेटी) में। पान मसाला, तम्बाकू, सुपारी का अधिक सेवन करने से स्वर यंत्र का कैंसर होने की आशंका अधिक होती है। इसमें सबसे पहले रोगी के मुंह और आसपास का हिस्सा सफेद हो जाता है। जिसे सबम्यूकसफाइब्रोसिस कहते हैं। बाद में यही स्वर यंत्र तक पहुंच जाता है और आवाज की पेटी का कैंसर बन जाता है। शुरुआती दौर यानी स्टेज एक और दो में दूरबीन विधि से स्वर यंत्र के कैंसर को लेजर से हटाया जा सकता है। इसका लाभ यह है कि व्यक्ति की आवाज बरकरार रहती है। कैंसर का फैलाव अधिक होने पर सर्जरी की ऐसी तकनीकी भी उपलब्ध है जिसमें स्वर यंत्र का केवल पीडि़त हिस्सा ही निकाला जाता है। इसके अलावा जब कैंसर पूरी तरह स्वर यंत्र को अपनी गिरफ्त में ले लेता है। ऐसी स्थिति में पूरी आवाज की पेटी को निकालने के अलावा कोई चारा नहीं है। पीडि़त को आवाज देने लिए एक वाल्व लगा दिया जाता है। सीटी नुमा इस वाल्व से पीडि़त व्यक्ति बोलने में सक्षम हो जाता है। इस दौरान अहमदाबाद से आये डा. कौस्तूभ पटेल ने मौजूद विशेषज्ञों व प्रतिभागियों की सर्जरी के बारे में शंकाओं का समाधान किया। इस अवसर पर डा. राजीव पंत, डा. एसके अग्रवाल समेत कई चिकित्सक उपस्थित थे(दैनिक जागरण,लखनऊ,29.8.2010)।

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