लंबी जद्दोजहद के बाद आखिरकार कैशलैस इलाज को लेकर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों व अस्पतालों के मध्य चल रहे विवाद पर विराम लग गया है। थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेशन (टीपीए) द्वारा तैयार नए दिशा निर्देश के तहत तीन स्तरीय पैकेज को शामिल किया गया है। इस पैकेज के तहत विभिन्न अस्पतालों में उपलब्ध 42 मूलभूत स्तरीय सुविधाओं के आधार पर अस्पतालों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है। करीब 600 पंजीकृत नसिग होम्स को सी श्रेणी में रखा गया है। जिसका इन नसिग होम्स ने बहिष्कार करने का एलान कर दिया है। इसके तहत ए, बी, सी श्रेणी बनाई गई है। श्रेणी ‘ए’ में राजधानी समेत देश के 17 बड़े पंचतारा चिकित्सीय सुविधाओं वाले अस्पतालों को शामिल किया गया है। दूसरी यानी की ‘बी’ श्रेणी में इन अस्पतालों से कमतर चिकित्सीय सुविधाओं वाले अस्पताल है। जबकि ‘सी’ श्रेणी में 50 बिस्तरों से ज्यादा वालों को शामिल किया गया है। चौंकाने वाले तथ्य ये है कि जिन अस्पतालों व नसिग होम्स के लिए मानक तैयार किए गए है उनमें दिल्ली सरकार से मान्यता प्राप्त 600 नसिग होम्स शामिल है। सी श्रेणी का उपचार व नैदानिक शुल्क ए व बी श्रेणी से काफी कम है। जिसके चलते वे अपना खर्च भी बमुश्किल निकाल पाएंगे। जानकारों का कहना है कि इन नसिग होम्स में राजधानी के 70 फीसद रोगियों का दबाव रहता है। इनमें ऐसे रोगियों का दबाव ज्यादा रहता है जिन्होंने पॉलिसी तो कराई है लेकिन उसकी किस्त कुछ हजार में है। इसलिए उनका इलाज ए व बी में किसी भी सूरत में नही होगा। तीसरी श्रेणी के अस्पतालों में वे इलाज कराएंगे जहां पर नसिग होम टीपीए द्वारा बनाए गए भुगतान की पैकेज राशि में परता नही खाएगा। रक्षा टीपीए के सीईओ के पवन भल्ला ने कहा कि पैकेज सभी अस्पताल समूहों के प्रमुखों से राय लेने के बाद ही तैयार किया गया है। बता दें कि ओरियंटल इश्योरेंस, न्यू इंडिया इंश्योरेंस समेत भारत सरकार की चार स्वास्थ्य कंपनियों ने एक जुलाई से कैशलेस बीमा का लाभ देने से इनकार कर दिया था। इसके चलते बीमाधारकों के साथ ही अस्पताल प्रमुखों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
अस्पतालों की श्रेणी :
ए श्रेणी में : गंगाराम, मेडिसिटी, मैक्स, अपोलो।
बी श्रेणी में: सेंट स्टीफेंस, होली फेमली, बतरा, मैक्स, पटपड़गंज, नोएडा, पीतमपुरा, गुड़गांव शाखा। महाराजा अग्रसेन, जयपुर गोल्डन, माता चानन देवी, सरोज, भारतीय, रॉकलड हास्पिटल।
सी श्रेणी में: सभी नर्सिंग होम्स व अन्य अस्पताल।
विरोध : दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. नरेंद्र सैनी ने टीपीए के प्रस्ताव का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि यह दिशा निर्देश तैयार करने में सिर्फ कारपोरेट समूह के लोगों को शामिल किया गया। इससे सी कैटगरी के नसिग होम्स की स्थिति अति दयनीय हो जाएगी। यही नही इसका असर मध्यम वर्गीय व कमजोर लोगों पर पड़ेगा। आईएमए के संयुक्त सचिव डा. अनिल बंसल ने इस प्रस्ताव पर पुर्नविचार करने की मांग की है(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,20.8.2010)।
:) स्वस्थ्य जगत पर भी कॉर्पोरेट हमला। इस देश के मध्यम वर्ग का क्या होगा।
जवाब देंहटाएंये फैसला कौन करेगा की कौन सा मरीज कहाँ इलाज कराएगा ?
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जवाब देंहटाएं@डॉ. महेश सिन्हा साहब,
जवाब देंहटाएंक्षमाप्रार्थी हूँ.सुधार कर दिया गया है।
ये दिशा निर्देश कहीं मूल रूप में उपलब्ध हैं ।
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