हिसार के गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (जीजेयू) के एप्लाइड साइकॉलाजी डिपार्टमेंट ने ऐसी प्रश्नावली तैयार की है, जो एड्स और एचआईवी के बारे में देश के युवा मन को टटोलेगी।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान के 2400 युवाओं से बातचीत कर तीन साल में तैयार की गई बीस प्रश्नों की सूची सितंबर में यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी), नेशनल एड्स कंट्रोल सोसायटी ऑफ इंडिया (नाको) और हरियाणा एड्स कंट्रोल सोसायटी (एचएसीएस) को भेजी जाएगी। देश में पहली बार ‘एचआईवी रिस्क परसेप्शन क्वेश्चनेयर नाम से इस तरह का मनोवैज्ञानिक टेस्ट किट तैयार की गई है। प्रश्नावली तैयार करने वाले डॉ. संदीप राणा और रिसर्च फैलो डॉ. सुनील सैनी की मानें तो किसी बीमारी का सबसे आसान इलाज उसके मनोवैज्ञानिक कारण पर पकड़ बना लेना है। यह प्रश्नावली यही काम करेगी।
मन की बात जानेंगे
यूजीसी, नाको और एचएसीएस, इस टेस्ट किट के जरिए देश के युवाओं के मन में एचआईवी और एड्स से संबंधित पल रही सोच का पता लगा सकेंगी। वैसे यह किट भी यूजीसी के प्रायोजित पांच लाख 86 हजार की शोध परियोजना ‘बिहेवियरल मॉडिफिकेशन फॉर एचआईवी—एड्स अमंग एडल्ट्स’ के तहत तैयार की गई है।
इस प्रोजेक्ट पर मई 2007 में काम शुरू किया गया था। डॉ. राणा इस प्रोजेक्ट के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर हैं, जबकि डॉ. सुनील सैनी प्रोजेक्ट फैलो। डॉ. सैनी ने बताया कि यह टेस्ट किट एचआईवी और एड्स के क्षेत्र में कार्य कर रही सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं के लिए भी मददगार साबित होगी। इसे तैयार करने में भी नाको सहित कई संस्थाओं की मदद ली गई थी। इस कोश्चनेयर को तैयार करने से पहले एचएसीएस की मदद से 23 एड्स रोगियों से भी संपर्क किया गया और उनके मनोविज्ञान को टटोलने की कोशिश की गई।
कारगर साबित होगी टेस्ट किट
प्रोजेक्ट के प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर डॉ. संदीप राणा का कहना है कि टेस्ट किट युवाओं के मन में एचआईवी और एड्स के प्रति पल रही सोच को पकड़ेगी। ऐसे युवाओं की कमी नहीं है जो मान बैठे हैं कि उन्हें एड्स नहीं हो सकता, हालांकि वे इसके सभी कारणों को नहीं जानते। ऐसे युवाओं की सोच समझकर उसमें बदलाव करने की जरूरत है। सोच में बदलाव होगा, तो व्यवहार भी बदलेगा और एड्स जैसी घातक बीमारी से युवाओं को बचाया जा सकेगा।
प्रश्नावली का विमोचन
जीजेयू में एड्स के प्रति युवाओं की सोच मापने वाली टेस्ट किट का शुक्रवार को विमोचन भी कर दिया गया।
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