लखनऊ के सरोजनीनगर औद्योगिक एरिया में घुसते ही अजीब तरह की दुर्गध उठने लगती है। एक बंद दरवाजे वाले वीरान मकान के पास पहुंचते ही दुर्गध तेज हो जाती है। यह समझते देर नहीं लगी कि इसी मकान में नकली सॉस तैयार किया जा रहा है। काफी समझाने पर चौकीदार ने दरवाजा खोला। भीतर का दृश्य चौंकाने वाला था। फफूंदी लगी सोयाबीन और गेहूं के मिश्रण को शीरा में डालकर सॉस तैयार किया जा रहा था। सॉस में मिर्ची व टमाटर नजर नहीं आया। सरोजनीनगर के आसपास वाले इलाकों में इसी तरह चटपटा सॉस बनाने का गोरखधंधा चल रहा है। सॉस तैयार करने के लिए न तो कोई मशीन है और न ही टमाटर। बस एक भट्टी पर कुछ भगोने में शीरा पकाया जा रहा था। उसमें फफूंदी लगा गेहूं व सोयाबीन का मिश्रण घोलकर मिलाया जा रहा था। फूड कलर डालकर सॉस को लाल या हरा बनाने के बाद उसे कबाड़ से खरीदी बोतलों में भर दिया जाता है। उसके बाद चटपटा टोमैटो सॉस तैयार होकर दुकानों पर बेच दिया जाता है। खाद्य एवं प्रसंस्करण विभाग के उप निदेशक (प्रसार) एमएस खान का दावा है कि असली सॉस टमाटर, लहसुन व अदरक का अर्क व मसालों के अलावा किसी भी चीज से नहीं तैयार किया जा सकता। लेकिन नादरगंज की एक फैक्ट्री का मालिक नकली सॉस बनाकर उनके फार्मूले को गलत साबित कर दिया। फैक्ट्री में बनने वाले सॉस में टमाटर का नामोनिशान नहीं है। यहां सॉस बनाने का फार्मूला इस प्रकार है। फफूंदी+सोयाबीन+गेहूं+शीरा=सॉस। चिकित्सकों की मानें तो यह सॉस स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं(दैनिक जागरण,लखनऊ ,१०.७.२०१०) ।
ओह ! अब सॉस भी !
जवाब देंहटाएंइंसान का लालच कहाँ जाकर रुकेगा ।
इन्सान बस अपने अन्त के नए नए रास्ते खोजने में लगा है....
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