अब अस्पताल में इलाज कराने के बाद मेडिक्लेम पॉलिसी होने के बावजूद आपको अपनी जेब से ही पैसा भरना होगा। जी, हां अब अगर आपके पास नगदरहित मेडिक्लेम पॉलिसी है तो भी आप दिल्ली-एनसीआर के अलावा मुंबई, बेंगलुरु और चैन्नई के उच्च स्तरीय अस्पताओं जैसे अपोलो, मैक्स, गंगाराम में इनका फायदा नहीं उठा सकते हैं। हालांकि कई अस्पतालों ने बीमा नियामक इरडा को पत्र लिख कर इस कदम की आलोचना की है।
सभी बीमा कंपनियां जो कैशलैस हेल्थ इंश्योरेंस उपलब्ध कराती हैं, उन्होंने सिर्फ दिल्ली और एनसीआर के १५० पुराने उच्च स्तरीय अस्पतालों में सीधे भुगतान करने की सुविधा बंद कर दी है। कंपनी ने यह कदम एक जुलाई से प्रभावी हो गया है। अब यदि आपके पास वैध मेडिक्लेम पॉलिसी है और आप सभी प्रीमियम जमा कर चुके हैं तो भी इनमें से किसी अस्पतालों में इलाज कराने के बाद आपको अपनी जेब से ही पैसा देना होगा। इसके बाद आपको राशि के पुनः प्राप्ति के लिए बीमा कंपनी से मांग करनी होगी। हालांकि इसकी कोई गारंटी नहीं है कि आपको पूरी राशि मिल जाएगी।
चार सार्वजनिक कंपनियों समेत करीब १८ बीमा कंपनियों ने दिल्ली-एनसीआर स्थित १५० अस्पतालों को अपनी सूची से हटा दिया है। कैश लैस सुविधा केवल १०० पुराने अस्पतालों में उपलब्ध होंगी, जिनमें से कोई भी नाम ब़ड़ा नहीं है। तीसरे पक्ष व्यवस्थापक (टीपीए), रक्षा टीपीए के सीईओ पवन भल्ला के मुताबिक, देश भर में सालाना ६,००० करोड़ रुपए के मेडिक्लेम पॉलिसी प्रीमियम संग्रह पर १,५०० करो़ड़ रुपए प्रतिवर्ष का नुकसान हो रहा है। अभी तक यह १८ बीमा कंपनियां पूरे देश में ३००० अस्पतालों में नगदरहित सुविधा दें रही थी। टीपीए के हालिया अध्ययन के मुताबिक केवल ३५० अस्पतालों यानी करीब ११ फीसदी में ८० फीसदी कुल दावों की पेशपश दर्ज की जा रही है। भल्ला ने कहा कि प्रत्येक अस्पताल उपभोक्ताओं से अधिक शुल्क वसूलते हुए पाए गए हैं। यह कदम उन अस्पताओं में अनुशासन लाने के लिए भी है जो उपभोक्ताओं से ज्यादा पैसे वसूल रहे है(Nai Dunia,Delhi,11.7.2010)।
लगता है आजकल स्वास्थ्य बीमा करना कंपनियों के लिए घाटे का सौदा हो ग्या है ।
जवाब देंहटाएंहो भी सकता है , रोग जो इतने बढ़ने लग गए हैं ।
अब किसी को भी डायबीटी , बी पी , हार्ट अटैक हो सकता है ।
लेकिन मरीजों के लिए बुरी खबर है ।