मधुमेह के ऐसे रोगी जिन्हें अपनी रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखने के लिए रोज इन्सुलिन के इंजेक्शन लेने की आवश्यकता होती है, उनके लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने हारमोन की एक ऐसी किस्म खोजी है जिसके माध्यम से वे अपने रक्त शर्करा को तीन महीने तक नियंत्रित रख सकते हैं।
अवधेश सुरोलिया के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय रोग प्रतिरक्षण संस्थान के वैज्ञानिकों ने इन्सुलिन इंजेक्शन का ऐसा नया तरीका विकसित किया है जिसमें सुपरमोलिक्यूलर इंसुलिन एसेम्बली-2 (एसआईए-2) मौजूद होता है। इसका इस्तेमाल मधुमेह टाईप-1 के लिए टिकाऊ उपचार के तौर पर किया जा सकता है।
यह अपनी तरह का पहला अध्ययन है जिसमें पशुओं को एसआईए-2 की एक खुराक दी गई जिसके बाद उनकी रक्त शर्करा कम स्तर पर आ गई और करीब 120 दिन उसका स्तर नियंत्रित रहा।
एसआईए-2 एक तरह का प्रो-ड्रग रसायन है जो शरीर के अंदर जाकर परिवर्तित हो जाता है। यह प्रो-ड्रग का एक ऐसा रूप है जिसे इन्सुलिन का आधार स्तर बनाने के लिए इंजेक्शन के जरिए दिया जाता है।
यह तरीका मौजूदा उपचार प्रक्रिया के विपरीत है, जिसमें मधुमेह रोगी को ग्लूकोज स्तर को सामान्य रखने के लिए एक दिन में दो बार इंसुलिन इंजेक्शन लेने की आवश्यकता होती है ।
एसआईए-2 बहुत ही अनोखा है। यह शरीर में नियमित रूप से इंसुलिन छोड़ता रहता है जिससे ग्लूकोज का स्तर नहीं बढ़ पाता(हिंदुस्तान,दिल्ली,13.7.2010)।
बहुत बहुत शुक्रिया इस जानकारी के लिए...आप बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं इस तरह की जानकारियां दे कर.
जवाब देंहटाएंआप की रचना 16 जुलाई के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपने सुझाव देकर हमें प्रोत्साहित करें.
http://charchamanch.blogspot.com
आभार
अनामिका
अभी तो इसका प्रयोग माइस में ही हो रहा है । ह्युमन ट्राइल होकर मार्केट में आने में समय लगेगा ।
जवाब देंहटाएंलेकिन डायबिटीज के मरीजों के लिए अच्छी खबर है ।