गुरुवार, 15 जुलाई 2010

मच्छरों से मुक्ति का रास्ता

आज के दैनिक भास्कर में अमृतसर से मलकीयत वेरका/शिवरा की रिपोर्ट कहती है कि देश की सुरक्षा के लिए हथियार तैयार करने वाली प्रमुख संस्था डिफैंस रिसर्च डिवेल्पमेंट आर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) अब सेना तथा अन्य पैरामिल्रिटी फोर्सेज के जवानों को मच्छरों से महफूज रखेगी। इसके लिए संस्थान ने आधा दर्जन से अधिक उत्पाद तैयार किए हैं। उनको लांच करने की प्रक्रिया चल रही है। पहली बार है कि जवानों की मुश्किल को गंभीरता लिया गया है। सुरक्षा में तैनात सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ व अन्य पैरामिल्रिटी फोर्सेज को मच्छर का भी सामना करना पड़ता है। जंगली, पहाड़ी और पानी के नजदीकी इलाकों में जवान असर इनका शिकार होते हैं। गर्मियों और बरिश में समस्या और गंभीर हो जाती है। आंकड़ों पर गौर करें तो 70 से 75 फीसदी जवानों की बीमारी का कारण मच्छर होता है। ये सभी दवाएं हर्बल हैं। इन दवाइयों को जिस स्थान पर रखा जाता है उसके आस-पास से मच्छरों का सफाया हो जाएगा। ये हैं उत्पाद मास आउट (हर्बल मास्कीटो रिप्लीएंट वेपोराइजर), एरो मास (रूम फ्रेशर कम मास्कीटो रिप्लीएंट), एक्वा मास (वाटर बेस हर्बल मास्कीटो रिप्लीएंट), मास्क्विट (पाली हर्बल मास्कीटो रिप्लीएंट), सफैरी टा?स (बायोलोजिकल मास्कीटो कंट्रोल एजैंट), फ्लोट किल (हर्बल फ्लोटिंग एज मास्कीटो लार्वी साइट), एट्रेक्टी साइट (लियोर एंड किल टैक्नोलाजी), एंटी मास्कीटो पैंट के नाम शामिल हैं। यह उत्पाद आयल, क्रीम तथा टेबलेट की शक्ल में हैं। इनको शरीर में लगाने, खुले में रखने तथा पानी में रखने से मच्छरों का सफाया हो जाता है। कई तो ऐसे हैं जो मच्छरों को अपनी तरफ आकर्षित करके मारते हैं। कई उनके लार्वा को ही खत्म कर देते हैं। संस्था के लाइफ साइंस विंग ने भी डीपा स्प्रे तैयार किया है और इसको ड्रग कंट्रोल जनरल आफ इंडिया तथा डायरैक्टर जनरल आफ आम्र्ड फोर्सेज मैडीकल सर्विसेज ने भी प्रमाणित कर दिया है। देखना यह है कि ये उत्पाद आम नागरिकों के लिए उपलब्ध होते हैं या नहीं।

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