राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने चेताया है कि अगर अभी ध्यान नहीं दिया गया तो देश आने वाले सालों में डायबिटीज की राजधानी बन सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के हवाले से यह चेतावनी देते हुए उन्होंने देश में रोजमर्रा की जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के खिलाफ कारगर रणनीति बनाने का आह्वान किया है। मुंबई में एक अस्पताल के उद्घाटन के मौके पर पाटिल ने कहा डायबिटीज और हृदयरोग जैसी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से निपटने के लिए रणनीति बनाकर काम करने की जरूरत है। जिससे कि देश में इनका विस्तार रोका जा सके। राष्ट्रपति द्वारा मरोल क्षेत्र में उद्घाटित अस्पताल वर्ष के अंत तक 1500 बिस्तरों के साथ एशिया का सबसे बड़ा अस्पताल बनेगा। इस तरह की बीमारियों को देश की आर्थिक प्रगति में बाधक बताते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी इकाइयों को इन बीमारियों का इलाज करने के साथ-साथ लोगों को इनसे बचने के उपाय भी बताने चाहिए। डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के हवाले से उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में देश में चार करोड़ 20 लाख लोग डायबिटीज से पीडि़त हैं। यह बीमारी इसी रफ्तार से बढ़ती रही तो वर्ष 2030 तक देश में इससे पीडि़तों की संख्या आठ करोड़ से अधिक हो जाएगी। इसी तरह कार्डियोलॉजिकल सोसायटी की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि अभी देश में 10 करोड़ से ज्यादा लोग हृदयरोग से पीडि़त हैं। वर्ष 2020 तक यह संख्या विश्व के कुल हृदयरोग पीडि़तों का 60 प्रतिशत हो जाएगी। डब्ल्यूएचओ के अनुमान के मुताबिक सिर्फ इन दोनों बीमारियों के चलते अगले 10 साल में देश को 335 अरब अमरीकी डॉलर का नुकसान उठाना पड़ सकता है। देश की प्रगति के लिए देशवासियों के स्वस्थ रहने की आवश्यकता पर जोर देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत जैसे देश में जहां हर जगह विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाएं नहीं पहुंचाई जा सकतीं, वहां टेलीमेडिसिन का उपयोग होना चाहिए। इससे कम खर्च में दूरदराज के इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाया जा सकता है(दैनिक जागरण,पटना,5.7.2010)।
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
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