गुरुवार, 29 जुलाई 2010

ऑक्यूपेशनल थैरेपिस्ट का करिअर ख़तरे में पड़ने की संभावना

मानसून सत्र में प्रस्तुत किए जाने वाले मेडिकल स्टे बलिश्मेंट बिल 2009 में ऑक्यूपेशनल थेरेपी को जगह नहीं दी गई है । जिसके बाद देश भर के 1500 से अधिक ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट के कै रियर पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। यूसीजी द्वारा संचालित ओटी के लिए स्नातक व परास्नातक स्तर के पाठ्यक्रम संचालित कि ए जाते हैं जिनकी जगह सरकार फिजियोथेरेपिस्ट को नियमित करने का मन बना रही है । चिकित्सा पद्धति को अमान्य किए जाने के विरोध में राजधानी में बुधवार को ऑल इं डिया ऑक्यूपेशनल थेरेपी एसोसिएशन के 250 से अधिक विशेषज्ञ एकजुट हुए। एआई ओटीए के अध्यक्ष डॉ. मदन वारहाडे ने बताया कि पिछले 60 साल से थेरे पी के माध्यम से मानसिक और शारीरिक रूप से विकलांग लोगों का इलाज किया जा रहा है जिसके प्रशिक्षण के लिए यूसीजी द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर पाठ्यक्र म भी संचालित किए जाते हैं और विभिन्न मेडिक ल कॉलेज में बीओटी और एमओटी के लिए 50 सीटें भी रखी गई हैं । बावजूद इसके चिकित्सा पद्धति को परिषद में शामिल नहीं किया गया है । ओटी की जगह सरकार फिजियोथेरेपिस्ट को नियमित क रने का मन बना रही है , जिन्हें बिल में स्वीकृति दी गई है। शारीरिक रूप से अक्षम मरीजों को मानव व्यवहार व पॉजिटिव सोच से सही क रने को आक्यूपेशनल थेरेपी क हा जाता है , कोर्स को अभी तक राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाले मेडिकल प्रवेश परीक्षा व एमबीबीएस में भी जगह नहीं मिली है । (हिंदु्स्तान,दिल्ली,29.7.2010)

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