गुरुवार, 29 जुलाई 2010

मध्यप्रदेश के निजी कॉलेजों के डॉक्टर भी जाएंगे गांव

निजी मेडिकल कॉलेज की सरकारी सीट पर एमबीबीएस करने वाले उम्मीदवारों को अब डिग्री के बाद गांव जाना पड़ेगा। यह निर्णय प्रदेश सरकार ने लिया है। वहीं डीमेट कोटे की सीट पर एमबीबीएस कर रहे उम्मीदवारों से बांड भरवाने की तैयारी भी सरकार ने शुरू कर दी है। जिस पर अभी फैसला नहीं हुआ है। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने ‘एक कोर्स, एक नियम’ के तहत निजी और सरकारी मेडिकल कॉलेज का संचालन करने की योजना तैयार की है। अभी सरकारी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करने पर उम्मीदवार को डिग्री के बाद पहले एक साल तक गांव में नौकरी करने जाना होता है। इसके लिए आवेदक को कॉलेज में एडमिशन के समय एक साल की सेवा गांव में देने का बांड भरना पड़ता है जबकि निजी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करने पर आवेदक को किसी प्रकार का बांड नहीं भरना होता था। निजी मेडिकल कॉलेजों की 50 प्रतिशत सीटों पर प्रवेश पीएमटी काउंसिलिंग से दिया जाता है। जबकि शेष सीटों पर एडमिशन एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट मेडिकल एंड डेंटल कॉलेज द्वारा आयोजित डीमेट परीक्षा से होता है। निजी मेडिकल कॉलेज में सरकारी कोटे की सीट पर प्रवेश ले चुके उम्मीदवारों को कॉलेज फीस में कोई राहत नहीं मिलेगी। यह प्रावधान संचालनालय चिकित्सा शिक्षा द्वारा तैयार नियमावली में किया गया है। इस नई व्यवस्था से शासन को प्रतिवर्ष 273 एमबीबीएस डॉक्टर निजी मेडिकल कॉलेजों से मिलेंगे। कॉलेजों में सीटों की स्थिति कॉलेज कुल सीट सरकारीकोटा डीमेटकोटा एनआरआईकोटा पीपुल्स कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च सेंटर 150 63 64 23श्री अरविंदों इंस्टीटच्यूट ऑफ मेडिकल साइंस 100 42 43 15आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज 100 42 43 15इंडेक्स मेडिकल कॉलेज 150 63 64 23एलएन मेडिकल कॉलेज 150 63 64 23कॉलेज/सीटप्राइवेट मेडिक ल कॉलेज: 5कुल सीट: 650सरकारी कोटा: 273डीमेट कोटा: 278एनआरआई कोटा: 99निजी मेडिकल कॉलेज की सरकारी कोटे की सीटों पर एडमिशन लेने वाले उम्मीदवारों से गांव में जाने का बांड भराया जाएगा। वहीं डीमेट काउंसिलिंग से आने वाले आवेदकों से बांड भराने का प्रस्ताव तैयार हो रहा है।महेंद्र हार्डिया,राज्य मंत्री,चिकित्सा शिक्षा(दैनिक भास्कर,भोपाल,29.7.2010)

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